किसी भी व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटना उस व्यक्ति के ग्रह और कुंडली पर आधारित होती है। ऐसे में जब हमारी कुंडली में ग्रह सही स्थान पर होते है तो सब अच्छा होने लगता है और अगर यही ग्रह गलत स्थान पर हो तो इनके दुष्प्रभाव बेहद खतरनाक साबित हो सकते है।
इन्हीं में दो ग्रह राहु और केतु है जिन्हें छाया ग्रह कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन दोनों ग्रह की छाया मात्र पड़ने से ही व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव आने लगते है।
इसी को देखते हुए कल हमने आपको राहु दोष के उपायों की जानकारी दी थी और आज हम आपके लिए केतु की खराब दशा को दूर करने के उपाय लेकर आए है।
आइए आपको बताते है कि केतु के दुष्प्रभावों से आप कैसे अपना बचाव कर सकते है।
भगवान गणेश की करें अराधना
भगवान गणेश जी को केतु का कारक देवता बताया जाता है और ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश जी की अराधना की जाए तो केतु के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है और इस लिए अगर बुधवार के दिन भगवान गणेश जी के पूजन के साथ अथर्वास्तोत्र का पाठ किया जाए तो इससे केतु की खराब दशा में लाभ होता है।
काले रंग की गाय को खिलाए चारा
काले रंग की गाय को चारा खिलाने या फिर उसकी सेवा करने से केतु के दुष्प्रभावों को दूर किया जा सकता है।
गरीबों की मदद
गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन, धन आदि का दान करना चाहिए और भूलकर भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए। आप मदद अपने सामर्थ्य के अनुसार कर सकते है ऐसा करने से केतु के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
काले-सफेद तिल
काले-सफेद कुत्ते को रोजाना भोजन कराना चाहिए अगर यह संभव ना हो पाए तो काले और सफेद तिल को किसी भी बहने वाली नदी में बहा दें। ऐसा करने से केतु के प्रभावों में लाभ मिलता है।
केतु का बीज मंत्र
अगर केतु की नजर आपकी कुंडली पर पड़ी हो तो आपको केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु बीज मंत्र ‘ॐ कें केतवे नमः’ का जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से केतु का प्रभाव व्यक्ति पर नहीं पड़ता।