19.1 C
Delhi
Wednesday, April 2, 2025
Advertisement
Advertisement
Advertisement

जब देश आज़ादी का जश्न मन रहा था महात्मा गाँधी उपवास पर बैठे थे, क्यों?

जैसे-जैसे 15 अगस्त करीब आ रहा है, हर कोई स्वतंत्रता दिवस को लेकर उत्साहित है और हो भी क्यों ना आखिर हमारे देश के हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भारत को स्वतंत्र जो कराया था। इस साल हमारा देश आजादी के 75 साल पूरे करने वाला है।
अब आप कहेंगे इसमें कौन सी नई बात है, इसकी जानकारी तो हमें भी है, लेकिन अब अगर हम आपसे यह पूछे कि आप महात्मा गांधी जी को जानते है ? तो आपका क्या जवाब होगा ? अब आप कह रहे होंगे कि यह कैसा सवाल है ? हर कोई जानता है कि देश की आजादी में महात्मा महात्मा गांधी जी का अहम रोल रहा है लेकिन क्या आप यह जानते है कि देश की आजादी में अहम रोल अदा करने वाले ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी जी देश की आजादी के जश्न में शामिल ही नहीं हुए थे।

जी हां यह बात सत्य है कि जब देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब महात्मा गांधी जी ने इस जश्न में भाग नहीं लिया था और उपवास पर बैठ गए थे।

तो क्या है पूरी कहानी आइए जानते है, ऐसा नहीं है कि गांधी जी देश की आजादी से खुश नहीं थे बल्कि जिस दिन देश आजाद हुआ था उस दिन भारत को एक घाव मिला था और वह घाव था बंटवारे का घाव। अंग्रेज तो हमारे देश से चले गए थे लेकिन वो दे गए थे एक ऐसा घाव जिसे चाहे जितने भी साल बीत जाए पर उसे भुलाना संभव नहीं है। एक तरफ जहां दिल्ली में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था तो वहीं, दूसरी तरफ बंगाल दंगों की आग में झुलस रहा था। महात्मा गांधी जी देश की आजादी तो चाहते थे परंतु बंटवारा महात्मा गांधी भी नहीं चाहते थे लेकिन बंटवारे के बाद जब देश की आजादी का ऐलान किया गया तो बंगाल में हिंदू-मुस्लिम के बीच दंगे भड़क उठे। जिसे शांत कराने के लिए महात्मा गांधी जी को तत्काल बंगाल जाना पड़ा। महात्मा गांधी जी ने दंगों को शांत कराने की लाख कोशिश की परन्तु जब हालात सामान्य नहीं हुए तो गांधी जी वहीं उपवास पर बैठ गए। 

BEGLOBAL

कहा जाता है कि गांधी जी को इस बात की जानकारी तो थी कि देश को आजादी मिल गई है लेकिन उनकी जानकारी में यह नहीं था कि देश की आजादी के पीछे बंटवारे की आग इंतजार कर रही थी। जिससे वह काफी नाराज हो गए थ। प्रसिद्ध समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया जी ने अपनी किताब ‘भारत विभाजन के गुनहगार’ में लिखा कि महात्मा गांधी को बंटवारे के संबंध में पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पर्याप्त जानकारी दी ही नहीं थी। आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी आजादी के जश्न में शामिल नहीं होने की जानकारी जब पंडित नेहरु और सरदार पटेल को चली तो उन्होंने तत्काल ही एक संदेशवाहक को कोलकाता भेजा ताकि महात्मा गांधी को बुलाया जा सके। लेकिन गांधी जी नहीं माने और वापस लौटने से स्पष्ट मना कर दिया। उनका कहना था कि जब बंगाल जल रहा है तो कैसे मैं दिल में रोशनी लिए दिल्ली आ सकता हूं। 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

BEGLOBAL