जब भी कोई जहाज़ या हेलीकॉप्टर दुर्घटना होती है तो ब्लैक बॉक्स बहुत चर्चा में आ जाता है, हादसे कैसे हुआ इसका रहस्य पता लगाने में ब्लैक बॉक्स का रोल बड़ा अहम हो जाता है, आज हम आपको ब्लैक बॉक्स से जुड़ी तमाम जानकारी विस्तार से बताने वाले हैं।
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
किसी भी हवाई दुर्घटना के बाद सबसे पहले ब्लैक बॉक्स को ढूंढा जाता है क्यूंकि इसमें विमान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ सुरक्षित एवं संरक्षित रहती है। इसको विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है और उसका मुख्य कारण यह है कि दुर्घटना के समय विमान के पिछले हिस्से में सबसे कम नुकसान होता है।
नाम ब्लैक बॉक्स लेकिन इसका रंग नारंगी होता है।
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इसको नारंगी रंग इसका दृश्यता कि वजह से दिया गया है। ये रंग आग और पानी से भी जल्दी से प्रभावित नहीं होता है और इसको किसी भी परिस्थिति में ढूंढ़ने में आसानी होती है।
ब्लैक बॉक्स की विशेषताएं –
ब्लैकबॉक्स एक महीने तक समुद्र की गहराईयों से भी सिग्नल भेजने में सक्षम होता है, साथ ही इसको समुद्र के खारे पानी से कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। इसके अलावा ये हवाई दुर्घटना से होने वाले अधिकतम आघात को भी झेल पाने में सक्षम है, तो वहीं ये कई हज़ार डिग्री सेल्सियस तापमान को भी बर्दाश्त कर सकता है।
ब्लैक बॉक्स कैसे बनता है?
ब्लैकबॉक्स के ४ हिस्से होते हैं। पहले हिस्से के तौर पर इसमें इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्ड लगाया जाता है जिसको मेमोरी कार्ड भी कहा जाता है और इसमें ऑडियो एवं अन्य तरह का का डाटा रिकॉर्ड किया जाता है। दूसरा हिस्सा होता है एल्युमीनियम के डिब्बे का, इसी डिब्बे में मेमोरी कार्ड को बंद किया जाता है। ये मेटल जंगरोधी होता है और इसकी इलेक्ट्रॉनिक खूबियों को बनाये रखने में कारगर होता है। तीसरे हिस्से में इंसुलेटर होता है , यह १ इंच मोटा होता है और ये मेमोरी कार्ड को १००० डिग्री सेल्सियस तक सुरक्षित रखता है। चौथे भाग में टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील का मजबूत बॉक्स होता है जिसमें बाकी तीन हिस्सों को बंद किया जाता है, यह मेमोरी कार्ड को किसी भी आघात, आग और पानी से बचाने का काम करती है।
ब्लैक बॉक्स क्या क्या रिकॉर्ड करता है?
ब्लैक बॉक्स में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर लगा होता है , ये दोनों एक ही बॉक्स या अलग अलग बॉक्स में रखे होते है। फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर करीब ८० गतिविधियां रिकॉर्ड करता है जिसमें विमान की गति, ऊंचाई, हवा की गति, विमान के ऊपर जाने की गति, इंजन के फ्लो का रिकॉर्ड भी शामिल है। ये २४ घंटे तक की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने की क्षमता रखता है। सीविआर में कॉकपिट की आवाज़ रिकॉर्ड होती है जिसमें पायलट की बातचीत और एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल से हुई बातचीत भी रिकॉर्ड की जा सकती है। इसमें इंजन और स्विच की आवाज़ रिकॉर्ड की जा सकती है। जिससे दुर्घटना के समय क्या गतिविधि हुई उसको जानने में मदद मिलती है।