नई दिल्ली: आजकल ज्यादातर लोगों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं, अगर आप में भी कुछ ऐसे ही लक्ष्ण है तो ये हो सकता है कि अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो। अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचने के लिए आप हेल्दी लाइफ स्टाइल, माइंड मैनेजमेंट और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरत सकते हैं।
आपको बता दें कि अल्जाइमर्स डिजीज, डिमेंशिया का ही एक प्रकार है। जैसे डिमेंशिया में मरीज को किसी भी चीज, व्यक्ति या घटना को याद रखने में दिक्कत महसूस होती है, उसी तरह अल्जाइमर्स में भी होता है। जिससे उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी मुश्किल महसूस होती है।
क्या है अल्जाइमर
अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है। याददाश्त की कमी होना, बोलने में दिक्कत आना, निर्णय न ले पाना आदि इसके लक्ष्णों में शामिल हैं। इस बीमारी के होने की आशंका तब बढ़ जाती है जब आधुनिक जीवनशैली, रक्तचाप, मधुमेह और सिर में चोट लग जाती है।
हालांकि 60 साल की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का अभी तक किसी तरह का कोई सही इलाज नहीं है।
साथ ही आपको बता दें कि कई बीमारियां भी एक बड़ा कारण अल्जाइमर होने की कई वजह होती हैं। इसमें सबसे ज्यादा रिस्क उन लोगों को होता है जो पहले से ही डायबिटीज, थायराइड, हाइपरटेंशन और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो। इतना ही नहीं अव्यवस्थित जीवनशैली जैसे समय से खाना न खाना, शराब, सिगरेट, तनाव, परिवार में किसी की अल्जाइमर होने की हिस्ट्री। इसके अलावा कई पोषण जुड़े फैक्टर जैसे विटामिन B की कमी, अकेलापन, मानसिक तौर पर किसी बीमारी से ग्रसित होना।
अल्जाइमर से बचने के लिए मददगार
जिन लोगों में अल्जाइमर के जैसे लक्षण मौजूद है उन्हें गुणों से भरपूर्ण हल्दी का सेवन करना चाहिए। एक शोध ने ये दावा किया है कि भारत में आमतौर पर प्रयोग में लाने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को ठीक करने के साथ-साथ इसके खतरे को कम किया जा सकता है।
दिखने लगे लक्षण तो
अगर किसी व्यक्ति को अल्जाइमर्स डिजीज का कोई भी एक लक्ष्ण खुद में नजर आता है तो उन्हें जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर (न्यूरोफिजीशियन या न्यूरो सर्जन) से जरूर सलाह लेनी चाहिए। जिसके बाद डॉक्टर सबसे पहले इसका निश्चित करेंगे कि क्या वास्तव में ये लक्षण डिमेंसिया के ही प्रकार अल्जाइमर्स का है या फिर इसका कोई और कारण है।