सट्टा मटका, मटका जुआ या सट्टा भारत की आजादी के ठीक बाद 1950 के दशक में शुरू हुआ था

इसे तब 'अंकदा जुगर' के नाम से जाना जाता था।

यह समय के साथ विकसित हुआ और बिल्कुल अलग हो गया

लेकिन 'मटका' नाम बना रहा 

सट्टा मटका में, 0-9 की संख्या कागज के टुकड़ों पर लिखी जाती है 

एक मिट्टी के घड़े मटका में डाल दी जाती है

फिर एक व्यक्ति एक चिट खींचेगा और जीतने वाली संख्या घोषित करेगा। 

जीतने वाले व्यक्ति को 'मटका किंग' के रूप में जाना जाता है।

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