भारत के पास दुनिया को ताकत दिखाने का मौका

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जी 20 देशों का शिखर सम्मेलन अगले साल भारत में होगा। भारत की अध्यक्षता में यह सम्मेलन अगले साल 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोगो, थीम और  वेबसाइट जारी करते हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र के जरिए विश्व बंधुत्व की जिस भावना को हम को जीते आए हैं, वो विचार इस लोगो और थीम में भी झलक रहा है।

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एक साल के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में जी-20 की करीब 200 बैठकें आयोजित किए जाने का प्लान है। कितना अहम है 

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भारत को इस समिट की मेजबानी मिलना, जानने के लिए बात करते हैं डॉ रणविजय से जो जेएनयू में इंटरनैशनल पॉलिटिक्स के एसोसिएट प्रफेसर हैं।

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प्रफेसर रणविजय, कितना महत्वपूर्ण है भारत को जी-20 समिट की मेज़बानी मिलना यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि जी-20 में आप देखे होंगे कि पूरा डेवलपिंग एंड डेवलप्ड वर्ल्ड दोनों तरफ के कंट्रीज हैं। 

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अभी तक डेवलप्ड वर्ल्ड ही पूरी ग्लोबल इकॉनमी को हैंडल करते आई है। 1999 के बाद जब जरूरत महसूस हुआ तो जी-20 नेशंस का एक ग्रुप बना और अभी ठीक 20-22 वर्ष बाद उसकी आवश्यकता और ज्यादा पड़ रही है 

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जब यूक्रेन और रशिया की जो वॉर चली, इस वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जी-20 का भारत के पास एक साल के लिए मेजबानी आना, प्रेसिडेंसी सीट आना, यह महत्वपूर्ण रखता है। क्यों महत्वपूर्ण रखता है यह बात, क्योंकि 

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भारत का जो 'वसुधैव कुटुंबकम' की जो विचारधारा है वह भारत पूरे विश्व में लाना चाहती है और इसका प्रयास शुरू से ही रहा है। और वह विश्व में शांति के लिए बहुत ही जरूरी है।

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