History Of Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru :  इतिहास की किताबों में लिखा वो नाम जिसके ज़िक्र के बिना अधूरी है आज़ादी

इंकलाब जिंदाबाद! यह वह नारा है. जो आखिरी बार लाहौर की जेल में गूंजा था। 

यह गूंज और इससे जुड़े तीन नाम आज भी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 

नाम था भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु!

भगत सिंह एक ऐसा नाम है, जिसे सुनने के बाद आज भी जेहन में जोश भर जाता है। 

लेकिन राजगुरु और सुखदेव  के जिक्र के बिना शहीद भगत सिंह का जिक्र अधूरा है। 

24 अगस्त 1908 को जन्मे राजगुरु का पूरा नाम शिवराम राजगुरु था। मात्र 6 साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था। 

पिता के निधन के बाद वह वाराणसी आ गए।