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भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में हुआ था।
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बिस्मिल्लाह खान हड़हा सराय में अपने मकान की सबसे ऊपरी मंजिल पर रहा करते थे।
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जब तक उस्ताद जिंदा रहे बाबा भोलेनाथ को भोर में शहनाई बजाकर जगाया करते थे।
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बिस्मिल्लाह खान साहब बनारस की पहचान थे और आज भी हैं। वहां की तंग गलियों में आज भी उनकी धुन सुनाई देती है।
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जब उनका जन्म हुआ उनके दादा जी ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए ‘बिस्मिल्लाह’ कहा और तबसे उनका नाम बिस्मिल्लाह पड़ गया।
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लाल किले से लेकर ब्रिटेन की महारानी के दरबार तक में शहनाई बजा चुके बिस्मिल्लाह खान की बड़ी ख्वाहिश थी कि वो एक दिन इंडिया गेट पर शहनाई बजाएं।
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इसके जरिए वो शहीदों को श्रद्धांजलि देना चाहते थे।
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26 जनवरी, 1950, भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भी उन्होंने लाल किले से राग कैफी की प्रस्तुति दी थी.
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आजादी के बाद, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसी शख्सियतों के सामने शहनाई बजाने वाले वह पहले भारतीय शहनाई वादक बने।
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