उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले जहां हर एक पार्टी अपनी तैयारियों को लेकर चुनावी मैदान में उतर चुकी है, वहीं बसपा अध्यक्ष मायावती ने बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवारों को विधानसभा का टिकट देने से पहले कई स्तरों पर उनकी जांच परख के लिए एक परीक्षा रख दी है। जिसके तहत बसपा का टिकट लेने के इच्छुक उम्मीदवारों को अगर टिकट चाहिए तो उन्हें यह टेस्ट पास करना होगा।
क्या है मायावती का टेस्ट ?
दरअसल, मायावती की इस परीक्षा में उम्मीदवारों को कई पड़ावों को पार करना होगा, जैसे कि उम्मीदवार ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए क्या काम किया है ? उम्मीदवार के जनता से कैसे संबंध है? अपने क्षेत्र में बसपा की नीतियों का प्रचार उस उम्मीदवार ने ठीक ढंग से किया है कि नहीं ?
तैयारियों के लिए उम्मीदवारों को मिला 2 महीने का समय
इसी को ध्यान में रखते हुए बसपा ने विधानसभा उम्मीदवार घोषित करने से पहले अपने प्रत्याशियों को हर विधानसभा क्षेत्र में प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है और उन्हें यहां काम करने के लिए 2 महीने का समय भी दिया है।
जिसके तहत उम्मीदवारों को इन दो महीनों के भीतर पार्टी का मैनजमेंट लेवल, सोशल मीडिया मैनेजमेंट, अनुसूचित जातियों की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करके मायावती को सौपनी है। जिसके बाद मायावती स्वयं इन रिपोर्ट को चैक करेंगी और अगर मायावती की नजर में उम्मीदवारों का यह 2 महीने का रिपोर्ट कार्ड सही होगा तो ही उन्हें मौका दिया जाएगा, अन्यथा उम्मीदवार की दावेदारी खत्म कर दूसरे नेता को मौका दिया जाएगा।
इतना ही नहीं उम्मीदवारों को इसके साथ-साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने इन दो महीनों में कितने गावों का दौरा किया, कितने बूथ मजबूत किये, लोगों से किस स्तर पर बातचीत की, संगठन को कैसे मजबूत बनाया ?
बसपा अध्यक्ष मायावती इस बीच उम्मीदवारों की सोशल मीडिया पर सक्रियता, बसपा संस्थापक कांशीराम और मायावती के विचारों के प्रचार प्रसार पर भागीदारी का भी आकलन करेगी और फिर कोई फैसला लेंगी।