भारत पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जिसे उसके त्योहारों के लिए जाना जाता है और भारत में मनाए जाने वाले हर एक त्योहार के पीछे अलग-अलग कहानियां है। इसी में एक त्योहार है होली, जिसका नाम सुनते ही लोगों में इस त्योहार की अलग ही एक्साइटमेंट देखने को मिलती है।
क्योंकि यह एक ऐसा त्योहार है जिसकी रौनक कई दिनों पहले ही देखने को मिल जाती है और होली के लिए एक कहानी भी है जो सालों से लोग सुनते और सुनाते आ रहे है। जिसकी वजह से होलिका दहन की शुरूआत हुई थी।
लेकिन आज हम आपको प्रहलाद और होलिका की कहानी नहीं सुनाने वाले बल्कि हम आपको अन्य कहानियां बताने वाले है जो शायद ही आपने कभी सुनी होगी। तो आइए उन कहानियों के बारे में जानते है, जिनका कनेक्शन सीधा होली के साथ है।
कब मानाई जाती है होली ?
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अगर इंग्लिश कलेंडर की माने तो होली मार्च के महीने में मनाई जाती है लेकिन हिंदू पंचाग के अनुसार होली हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है और साल 2022 में होली 18 मार्च के दिन मनाई जाएगी।
राक्षसी ढुण्ढा के अंत की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था राजा रघु और उसके राज्य में एक राक्षसी रहती थी जिसका नाम था ढुण्ढा, उसने भगवान शिवजी को प्रसन्न किया और अमर होने का वरदान मांग लिया।
इसके बाद जब वह राक्षसी ताकतवर बन गई तो उसने गांव वालों और बच्चों को परेशान करना शुरू कर दिया। जब राक्षसी का अत्याचार हद से ज्यादा ही बढ़ने लगा तो डरी हुई प्रजा अपने राजा रघु से मदद मांगने पहुंची।
जिसके उपरांत वशिष्ठ ऋषि ने महाराज रघु को बताया कि अगर आप राक्षसी का अंत चाहते हो तो वह तभी संभव है जब खेलते हुए बच्चों की शोर-गुल या हुडदंग राक्षसी के कानों में पड़े इससे राक्षसी की मौत हो जाएगी।
फिर क्या था राजा ने फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सभी बच्चों को इकट्ठा किया और उन्हें खूब नाचने-गाने और तालियां बजाने के लिए कहा और घास-फूस और लकड़ियों में आग लगाकर उसकी परिक्रमा की गई। जिससे राक्षसी का अंत हो गया और हर साल इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा, जिसे आज हम होली के रूप में मनाते है।
श्रीकृष्ण द्वारा पूतना के वध की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि मथुरा का एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था कंस और उसने अपने भांजे यानी भगवान श्रीकृष्ण को मरवाने के लिए पूतना नाम की एक राक्षसी को भेजा। इसके बाद पूतना ने एक योजना बनाई कि वह जाएगी और अपने विषयुक्त स्तन का पान कराकर बाल कृष्ण को मौत की नींद सुला देगी।
लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना की इस योजना पर पानी फेर दिया और बाल कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया। जिसके बाद गांव के लोगों ने रंगों के साथ इस दिन उत्सव मनाया जिसके बाद से आज तक इस दिन ही होली मनाई जाने लगी।
भगवान शिव जी की कथा
होली के पीछे भगवान शिव जी की कथा के अनुसार जब माता पार्वती जी भगवान शिव जी से विवाह करना चाहती थी तो उस दौरान भगवान शिवजी तपस्या में लीन हो गए थे। जिसके बाद शिवजी को तपस्या से उठाने के लिए माता पार्वती जी ने प्रेम के देवता कामदेव की मदद मांगी।
जिसके बाद कामदेव ने भगवान शिवजी की तपस्या भंग कर दी लेकिन भगवान शिवजी कामदेव पर क्रोधित हो गए और शिवजी ने कामदेव को ही भस्म कर दिया। इसके बाद जब कामदेव की पत्नी रोने लगी तो शिवजी ने पुनः कामदेव को जीवित किया और उनके प्राण लौटा दिए।
कहा जाता है कि जिस दिन कामदेव भस्म हुए थे उस दिन होलिका दहन मनाया जाता है और जिस दिन कामदेव को जीवीत किया गया उसे होली के नाम से जाना जाता है।