उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसान नरसंहार के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से भी कई सवाल किए। इतना ही नहीं इस घटना में लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और श्याम सुंदर की हत्या के मामले को लेकर भी कोर्ट ने योगी सरकार से जांच पर जवाब दाखिल करने को कहा।
बता दें कि, इस मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने लखीमपुर खीरी मामले पर स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 68 गवाहों में से अभी तक केवल 30 गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं। हरीश साल्वे ने बताया कि इन 30 गवाहों में 23 लोगों ऐसे है, जो कि इस घटना के चश्मदीद होने का दावा कर रहे है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि रैली में जब सैकड़ों किसान थे तो सिर्फ 23 ही चश्मदीद गवाह कैसे बने ? इसपर हरीश साल्वे ने जवाब देते हुए कहा कि चश्मदीद गवाहों को लेकर हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर कहा है कि जो घटनास्थल पर मौजूद थे, जिन्होंने कार और कार के अंदर मौजूद लोगों को देखा है, वो सामने आएं। हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में गवाहों के दर्ज बयान दे सकती है।
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना के वक्त 4 से 5 हजार लोगों की भीड़ थी और सभी लोग स्थानीय ही हैं, यहां तक कि घटना के बाद भी इनमें से अधिकांश लोग आंदोलन कर रहे हैं। जैसा कि बताया गया है, तो फिर, इन लोगों की पहचान में समस्या कैसे आ रही है।
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इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी लखीमपुर खीरी हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फोरेंसिक लैब को भी घटना के वीडियो से संबंधित रिपोर्ट जमा करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा।
इस दौरान कोर्ट ने योगी सरकार से घटना के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के भी निर्देश दिए और इस मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 8 नवंबर की अगली तारीख तय की है।