25.1 C
Delhi
गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
Recommended By- BEdigitech

सुप्रीम कोर्ट ने ‘टू-फिंगर टेस्ट’ पर लगाई रोक, कहा- इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘टू-फिंगर टेस्ट’ के इस्तेमाल की निंदा करते हुए इस पर रोक लगा दी है। इस तरह के टेस्ट करने वाले व्यक्तियों को दोषी ठहराया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। जो ऐसा करता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह का टेस्ट पीड़िता को दोबारा यातना देने जैसा है।’

WHO ने पहले ही टू-फिंगर टेस्ट को अनुचित बताया है। WHO ने कहा था कि ‘रेप के केस में इस टेस्ट से सब कुछ पता नहीं चलता है। टू-फिंगर टेस्ट मानवाधिकार उल्लंघन के साथ ही पीड़िता के लिए दर्द का कारण बन सकता है। ये यौन हिंसा जैसा है, जिसे पीड़िता दोबारा अनुभव करती है।’

यह टेस्ट उस वक्त करना जरूरी हो जाता है, जब गुप्तांग में से रक्त ज्यादा निकल रहा हो, या किसी प्रकार का इंफेक्शन हो। केवल कुछ मामलों में इस टेस्ट को यह देखने के लिए किया जाता है कि, अंदर किसी प्रकार का घाव तो नहीं है। लेकिन कई जगहों पर इसे रेप सर्वाइवर के लिए किया जानें लगा था।

Advertisement

2013 में, शीर्ष अदालत ने इसे गलत बताते हुए इसपर बैन लगा दिया, लेकिन उसके बावजूद इसे कई जगहों पर किया जाता था। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को पूरी तरह से रोक दिया है।

ये भी पढ़े  साउथ कोरिया में हैलोवीन फेस्टिवल के दौरान 140 की मौत; 150 से ज्यादा घायल

ये भी पढ़े अपनी पढ़ाई पूरे करने के लिए अपने ही स्कूल के बाहर बेचती है मूंगफली।

मोहित नागर
मोहित नागर
मोहित नागर एक कंटेंट राइटर है जो देश- विदेश, पॉलिटिक्स, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और वास्तु से जुड़ी खबरों पर लिखना पसंद करते हैं। उन्होंने डॉ० भीमराव अम्बेडकर कॉलेज (दिल्ली यूनिवर्सिटी) से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की है। मोहित को लगभग 3 वर्ष का समाचार वेब पोर्टल एवं पब्लिक रिलेशन संस्थाओं के साथ काम करने का अनुभव है।

Related Articles

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Latest Articles