तमिलनाडु के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में और अपनी काबिलियत के बल पर दुनिया की सबसे बड़ी IT कंपनियों में से एक गूगल के सीईओ बनेने तक का सफर सुंदर पिचाई का आसान नहीं रहा। सुंदर के पिता रघुनाथ पिचाई एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और उन्हीं से पिचाई को टेक्नोलॉजी से जुड़ने की प्रेरणा मिली।
उस दौरान उनके पिता की सैलरी इतनी कम थी कि उन्हें स्कूटर खरीदने के लिए भी तीन साल तक बचत करनी पड़ी थी। लेकिन आज उनके पास किसी चीज़ की कमी नहीं है।
सुंदर पिचाई 27 साल के थे जब उन्होंने भारत छोड़कर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी करने गए थे। उस समय उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उनकी टिकट भी करवा सकें। इसके लिए उनके पिता ने अपनी एक साल की कमाई उनकी टिकट पर खर्च कर दी थी ताकि वह स्टैनफोर्ड में पढ़ सकें। उसी समय वह पहली बार प्लेन में बैठे थे।
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जब वह पहली बार कैलिफ़ोर्निया पहुंचे तब वहां स्थिति बिल्कुल भी वैसी नही थी जैसी उन्होंने सोची थी। अमेरिका बहुत महंगा देश था। जब भी उन्हें भारत फ़ोन करना होता था तब उन्हें एक मिनट के 2 डॉलर खर्च करने पड़ते थे। एक बैगपैक की कीमत उनके पिता के महीने भर की सैलरी के बराबर थी। यहां आते ही उनकी पूरी दुनिया बदल गई। लेकिन उन्हें टेक्नोलॉजी को लेकर एक जुनून था जिसने उन्हें आगे बढ़ने में बहुत मदद की।
अपनी मेहनत और लगन के दम पर ही आज वह इतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्हें बिजनेस के सेक्टर के लिए साल 2022 का पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। इस खास मौके पर उन्होंने कहा कि, भारत हमेशा से उनकी पहचान में शामिल रहा है