ये वो दौर था जब हाकी की लोकप्रियता ढलने लगी थी और भारत को खेलों में आगे बढ़ने के लिए एक नए रोल माडल की जरूरत थी! इस जरूरत को पूरा किया क्रिकेट ने! हालांकि 1983 विश्व कप में जाने से पहले किसी को उम्मीद नहीं थी की भारत विजेता बनकर उभरेगा!
कपिल देव की 175 रन की पारी ने माहौल बदल दिया!
भारत ग्रुप लीग का पहला मैच वेस्टइंडीज से जीत गया था लेकिन सबको ये तुक्का लग रहा था! अगले मैच में जिम्बाब्बे के खिलाफ महज 27 रन पर 5 विकेट गिरे तो कलई सी खुलने लगी! लेकिन मैदान पर उतरे कपिल देव और उन्होने ऐसा खेल दिखाया की सबको भरोसा आने लगा की अब कुछ कर सकते हैं!
ऐसा रहा भारत का सफर!
पहला मैच बनाम – वेस्टइंडीज (भारत 34 रन से जीता)
दूसरा मैच बनाम – जिम्बाब्बे (भारत 5 विकेट से जीता)
तीसरा मैच बनाम – आस्ट्रेलिया (भारत 162 रन से हारा)
चौथा मैच बनाम – वेस्टइंडीज (भारत 66 रन से हारा)
पाँचवा मैच बनाम – जिम्बाब्बे (भारत 31 रन से जीता)
छठा मैच बनाम – आस्ट्रेलिया ( भारत 118 रन से जीता)
सेमी-फाइनल बनाम – इंग्लैण्ड ( भारत 6 विकेट से जीता)
फाइनल बनाम – वेस्टइंडीज ( भारत 43 रन से जीता)
रोचक जानकारी
मोहिन्दर अमरनाथ सेमी फाइनल एवं फाइनल दोनो में मैन ऑफ द मैच रहे, जबकी मैन ऑफ द सीरीज तब नहीं दी जाती थी!
डेविड गावर ने सर्वाधिक 384 रन बनाये वहीं रोजर बिन्नी ने सर्वाधिक 18 विकेट लिए!
ये थी भारत की टीम
कपिल देव (कप्तान)
सुनील गावस्कर
कृष्णमाचारी श्रीकांत
दिलीप वेंगसरकर
यशपाल शर्मा
मदन लाल
रोजर बिन्नी
बलविन्दर सिंह संधू
रवि शास्त्री
सुनील वाल्सन
मोहिन्दर अमरनाथ
संदीप पाटिल
सैयद किरमानी (विकेटकीपर)
कीर्ती आजाद
25 वर्ष बाद की टीम फोटो