नई दिल्ली: लगभग पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी के चलते बच्चों को ओनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, बच्चों को घर वालें इस महामारी से दूर रखने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें घंटों घंटों तक मोबाइल फोन, कम्यूटर का इस्तेमाल करने दिया जाता हैं लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि गैजेट का इस प्रकार से 8 से 10 घटें यूज़ करना आप के बच्चे के दिमाग पर बुरा असर छोड़ रहा है।
कोरोनाकाल में बच्चें एक दिन में करीब 8-10 घंटे गैजेट्स के साथ बिता रहे हैं, नतीजा इनके दिमाग की ब्रेन सेल्स डैमेज हो रही हैं। मोटापा बढ़ रहा है। नींद नहीं पूरी हो रही। इनका बर्ताव भी हिंसक हो रहा है।
इस महामारी के कारण पेरेंट्स बच्चों को बाहर निकलने से तो बचा रहे हैं, लेकिन वो बच्चों को मोबाइल और टैबलेट खेलने के लिए दे रहें हैं जिसका नतीजा, बच्चे घंटों उस पर समय बिता रहे हैं।
आपको बता दें, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 47 प्री-स्कूल ऐज वाले बच्चों पर रिसर्च की थी। जिसमें पाया गया की 2 से 5 साल की उम्र वाले ऐसे बच्चे थे जिन्होंने अभी स्कूल जाना शुरू नहीं कियाकिया और ये मोबाइल फोन और टैबलेट पर अधिक समय बिता रहे थे। इनके ब्रेन की स्कैनिंग की गई तो रिपोर्ट में सामने आया, इनके दिमाग के ग्रे-मैटर में नकारात्मक बदलाव हुए और दिमाग का ये ग्रे मैटर बच्चों के सीखने की स्किल्स के लिए जिम्मेदार होता है।
इंस्टीट्यूट ने बताया कि बच्चों को 2 कैटेगरी में बांटा गया। पहला, गैजेट्स को 2 घंटे इस्तेमाल करने वाले बच्चे।
दूसरा, 7 घंटे से अधिक इस पर समय बिताने वाले।
दोनों ग्रुप के बच्चों का लैंग्वेट टेस्ट लिया गया।
रिपोर्ट में सामने आया कि 7 घंटे गैजेट्स इस्तेमाल करने वाले बच्चों के मुकाबले 2 घंटे गैजेट्स यूज करने वाले बच्चों को स्कोर अधिक रहा।
बच्चों के मोबाइल, टैबलेट अधिक इस्तेमाल के नुकसान
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पढ़ाई में पिछे रहते है
गैजेट्स के कारण बच्चों का ध्यान बंट जाता है। पढ़ाई से जुड़ी छोटी से छोटी चीजें समझने और याद रखने में दिक्कतें आती हैं। गैजेट्स का इस्तेमाल बढ़ने पर इनका वापस पढ़ाई पर ध्यान लगा पाना मुश्किल हो जाता है।
बच्चों में बढ़ रही आक्रामकता
अमेरीका की एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोल्सेंट सायकियाट्री के मुताबिक, टीवी शोज, फिल्में और वीडियो गेम्स बच्चों को लक्ष्य से भटका रहे हैं। ये बच्चों के बिहेवियर में हिंसा और आक्रामकता को बढ़ा रहे हैं।
नींद पूरी ना होना
सोने से ठीक पहले तक टीवी देखना और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के कारण बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पा रही। ब्रेन में चलने वाली इनकी स्लीप साइकल डिस्टर्ब हो रही है। नतीजा, ये इन्सोम्निया यानी अनिद्रा से जूझ रहे हैं।
मोटापा बढ़ना
दिनभर में कई घंटे एक ही जगह पर बैठकर गैजेट्स का इस्तेमाल करने के कारण फिजिकल एक्टिविटी घटती जा रही है। इससे बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। डॉ. राज अगरबत्तीवाला कहते हैं, लम्बे समय तक ऐसा होने पर बच्चे ओवरवेट हो सकते हैं। इसलिए इनकी फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देने की जरूरत है।
बिहेवियर में बदलाव आना
एक्सपर्ट की मानें तो मोबाइल फोन और टैबलेट का दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने पर बच्चों के बिहेवियर में बदलाव आ सकता है। इनके सोशल और इमोशनल बिहेवियर में ये बदलाव दिख सकता है।