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गुरूवार, दिसम्बर 26, 2024
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किसको मिलेगा बंगला न. – 27 ? मोदी के दो बड़े मंत्रियों में बंगला – वॉर

जब राजनीति की बात आती है, तो हर कोई जानता है कि राजनीति मतलब ‘कुर्सी की लड़ाई’ लेकिन क्या आपने कभी राजनीति में बंगले की लड़ाई के बारे में सुना है ? नहीं ना ?
जी हां ! आपने सही सुना ‘बंगले की लड़ाई’ दरअसल बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने पहले राज्यसभा सांसद बनाया, उसके बाद मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। मोदी सरकार में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। 
आपको बता दें कि मोदी कैबिनेट के इस साल के विस्तार के समय कई मंत्रियों की छुट्टी हो गई थी। जिसमें देश के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल थे। खबरों की माने तो मंत्री पद से हटाए जाने के बाद भी वह सरकारी बिल्डिंग को खाली नहीं कर रहे है। 
वहीं, दूसरी तरफ जिस बंगले में पोखरियाल रह रहे हैं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर उसी बंगले की मांग कर दी है। जिसकी वजह से अब इस बंगले को लेकर दोनों ही नेताओं के बीच खींचतान का माहौल बन गया है।
दरअसल, रमेश पोखरियाल निशंक को मंत्री के तौर पर यह बंगला मिला था और नियमों के मुताबिक एक महीनें में सरकारी बंगले को खाली कर देना होता है। मोदी कैबिनेट से हटाए जाने के बाद भी रमेश पोखरियाल निशंक इस बंगले को खाली करना नहीं चाह रहे हैं और अभी भी वहीं डटे हुए हैं। खबरों की माने तो उनका कहना है कि उन्हें डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स से इसकी अनुमति मिल गई है।

अब आप यह सोच रहे होंगे कि इस बंगले में ऐसा क्या है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को यही बंगला चाहिए। दरअसल सफदरजंग मकबरे के पास लुटियन दिल्ली के इस बंगले से सिंधिया की काफी पुरानी यादें जुड़ी हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिताजी दिवंगत माधवराव सिंधिया भी इसी बंगले में रहा करते थे। राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद उन्हें यह बंगला मिला था और इसी बंगले में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी और लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार से पहले सिंधिया भी इसी बंगले में रहा करते थे। इसलिए इस बंगले को लेकर सिंधिया का ज्यादा लगाव बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में सिंधिया आनंद लोक में स्थित अपने निजी आवास में ही रह रहे हैं और केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से अभी तक सरकारी बंगले में शिफ्ट नहीं हुए हैं।
अब सभी की नजर इसी पर टिकी हुई है कि आने वाले समय में सरकार सिंधिया को खुश करती है या फिर यह बंगला पोखरियाल के पास ही रहता है।

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