भारतीय गैंगस्टर सत्या, रक्त चरित्र (2010), द अटैक्स ऑफ़ 26/11, किलिंग वीरप्पन (2016), रंगीला, भूत, सरकार जैसी फिल्में बनाने वाले राम गोपाल वर्मा को तो आप अच्छे से जानते होंगे। राम गोपाल वर्मा का विवादो से पुराना नाता है, आये दिनो वो किसी न किसी विवाद को लेकर चर्चा में बने रहते है।
वो हमसे अपने ट्विटर अकाउंट पर किसी न किसी पर कटाक्ष करते रहते है। हाल ही में उन्होनें अपने ट्विटर अकाउंट पर शाहिद की जर्शी और रिमेक फिल्मों पर हमला किया है।
जैसा कि आप सभी जानते है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादातर रिमेक फिल्में बनती है। यहां तक कि बडे- बडे स्टार भी रिमेक में काम कर रहे है। फिलहाल कम से कम 15-20 दक्षिण भारतीय फिल्में हैं जिनका हिंदी में रीमेक बनाया जा रहा है। बहुत सारे नवीनतम रीमेक को दर्शकों ने सिरे से खारिज कर दिया था। यह अपने आप में एक सीख है। एक क्लासिक फिल्म क्लासिक होती है और बॉलीवुड को यह जानना चाहिए। फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा रीमेक और नवीनतम रिलीज जर्सी पर अपनी राय के साथ फिर से लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हैं। शाहिद कपूर अभिनीत यह फिल्म नानी अभिनीत तेलुगु फिल्म जर्शी की आधिकारिक रीमेक है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “हिंदी में जर्सी फिल्म का विनाशकारी भाग्य रीमेक की मौत का संकेत देता है क्योंकि यह कई बार साबित हो चुका है कि पुष्पा, आरआरआर, केजीएफ 2 जैसी डब फिल्में मूल से कहीं बेहतर कर रही हैं यदि सामग्री अच्छी है।
उन्होनें DeathOfRemakes नामक हैशटेग का इस्तेमाल भी किया। उन्होंने इस टैग के साथ आगे लिखा, “अगर तेलुगु से नानी की मूल जर्सी को डब किया जाता और रिलीज़ किया जाता तो निर्माताओं की लागत सिर्फ 10 लाख होती, जबकि हिंदी में रीमेक की लागत 100 करोड़ थी, जिसके परिणामस्वरूप भारी धन, समय, प्रयास का नुकसान हुआ।
पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ: चैप्टर 2 जैसी फिल्में, 5 भाषाओं में पैन-इंडिया में रिलीज हुई, जो बॉक्स ऑफिस पर तूफान लाने में कामयाब रही।
पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ2 जैसी डब फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद, अच्छे कंटेंट वाली कोई भी दक्षिण फिल्म रीमेक अधिकारों के लिए नहीं बेची जाएगी क्योंकि हिंदी दर्शकों द्वारा कंटेंट और क्षेत्रीय सितारों दोनों को पसंद किया जा रहा है।
बॉलीवुड को न तो सुपरहिट फिल्म बनाना आता है और न ही वे दक्षिण की फिल्मों के रीमेक पर जीवित रहने की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि कोई भी उन्हें रीमेक अधिकार नहीं बेचेगा।
कहानी का सार समझाते हुए आरजीवी कहते है कि डब फिल्मों को रीमेक करने के बजाय रिलीज करना समझदारी है क्योंकि यह स्पष्ट है कि दर्शक किसी भी चेहरे या किसी भी विषय के साथ कहीं से भी आयी फिल्म देखने के लिए तैयार हैं, जब तक उनकी रुचि है
राम गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि “तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों ने हिंदी फिल्मों को एक COVID वायरस की तरह प्रभावित किया है। उम्मीद है कि बॉलीवुड जल्द ही एक वैक्सीन लेकर आएगा।”