दौर बदलते हैं हवा बदल जाती है और उसी के साथ बदल जाता है सफलता और असफलता का ग्राफ! कभी आप उपर होते हो तो कभी नीचे! ऐसी कई हवाओं से गुजर चुके हैं राहुल गांधी! वैसे भले ही देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हों लेकिन एक सच ये भी है कि गांधी परिवार में सफलता के लिए सबसे अधिक संघर्ष ही उनको करना पड़ा है!
2004 में अटल बिहारी वाजपेयी को हरा दिया था!
युवा जोश और नयी सोच के साथ राहुल गांधी पहली बार राजनीती के मैदान में उतरे! किसान आंदोलन और मजदूर आंदोलन में रोड़ पे उतरे! हजारों किलोमीटर पैदल य़ात्रायें की और कामयाब भी हुए! सफलता का ये सिलसिला 2014 तक जारी रहा!
2014 में नरेंद्र मोदी की हवा ने राहुल को हलका कर दिया!
2014 के चुनाव से पहले भाजपा ने मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदबार बनाया और उनकी हिन्दुत्व वादी छवि को जमकर भुनाया!
फिर शुरू हुआ IT Cell का खेल
भाजपा की IT Cell लगातार राहुल गांधी की छवि खराब करने में लगी है! कभी उनके भाषण का एक हिस्सा तो कभी किसी वीडियो को एडिट करके लगातार उनको निशाने पर लिया जाता रहा है! उनको हाशिये पर धकेलने का हरसंभव प्रयास किया जाता रहा है!
लेकिन कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं
तमाम छींटाकशी और उपहास के वावजूद राहुल अपने आप को साबित करते रहे हैं! पिछले 4 बार से लोकसभा का हिस्सा राहुल कांग्रेस का अहम हिस्सा हैं!
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