आम आदमी अगर संकट में होता है तो कहता है “हारे का सहारा खाटू वाला श्याम हमारा”, लेकिन राजनेता जब संकट में होते हैं तो कहते हैं “हारे का सहारा मोटा भाई हमारा”, उनके लिए श्याम से लेकर सांई तक का मतलब बस मोटा भाई है. और हो भी क्यों ना, मोटा भाई के क्लिनिक में उपेक्षित से अपेक्षित, असंतुष्ट को संतुष्ट, दुख को सुख में परिवर्तित करने का काम तसल्लीबख्श तरीके से किया जाता है.
नोट: – ये भारत का इस प्रकार का एकमात्र क्लिनिक है, इसकी और कोई ब्रांच नहीं है.
यहाँ पर नेताओं के तमाम रोग सुविधाजनक तरीके से दूर किये जाते हैं, इलाज में पद एवं पैसे का इस्तेमाल “जैसा माल वैसा दाम” के फोर्मूले से किया जाता है.
नोट: – सुविधा सिर्फ नेता नगरी तक ही सीमित है.
आमतौर पर रोगी हकीम के पास जाता है किंतु हकीम शाह खुद रोगी की पहचान कर, उसकी नब्ज पर हाथ रख रोग का कारण बता देते हैं. क्लिनिक में इलाज की उपलब्ध सारी सुविधाओं का ब्यौरा पोस्टमैन सरीखे अटेंडेंट से ‘होम डिलीवरी’ करा दी जाती है. ताकि सिद्धांतों से समझौता ना करने के बहाने मरीज घर से निकल कर किसी होटल या रिसोर्ट जैसी सुरक्षित जगह पहुँच सके.
नोट: – हवाई जहाज से लेकर बस तक की आरामदायक यात्रा का बन्दोबस्त भी हकीम जी द्वारा ही कराया जाता है.
बस फिर क्या, एक बार रोगी को भरोसा हो जाये कि वो रोगग्रस्त है तो फिर हकीम शाह की तरफ से इलाज में पद के साथ साथ कुछ “शून्य” उपहार स्वरूप दिये जाते हैं ताकि मरीज चंद शून्यों के सहारे मानसिक शून्य की और अग्रसर हो सके.
नोट: – इलाज के लिए आपका विधायक, सांसद अथवा इनके छोटे से झुंड का मुखिया होना आवश्यक है.
Note – This post is purely written for public entertainment, it has nothing to do with reality. If it hurts sentiment of anyone, we are apologetic for that.