आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों के लिए 13,000 करोड़ रुपये की “पीएम विश्वकर्मा योजना” शुरू की, और यहाँ द्वारका में “यशोभूमि” नामक 5,400 करोड़ रुपये की सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन किया।
मोदी जी ने कहा कि “आज मैं हर मजदूर, हर ‘विश्वकर्मा’ को ‘यशोभूमि’ समर्पित करता हूँ।” वह आगे भी कहे कि आज देश में ऐसी सरकार है जो सीमांतित लोगों को पहचान प्रदान करती है। विश्वकर्मा योजना का लक्ष्य पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों द्वारा प्रदान की जा रही उत्पादों और सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार है। इस योजना में 1 लाख रुपये (पहली किश्त के लिए 18 महीने) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त के लिए 30 महीने) का ऋण प्रदान किया जाएगा।
‘यशोभूमि’ कुल 8.9 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है और यह विश्व के सबसे बड़े सम्मेलन सुविधाओं में अपनी जगह पाएगा। मोदी जी ने यशोभूमि में उपस्थित लोगों को विश्वकर्मा योजना के बारे में जानकारी दी और उन्हें “मेड इन इंडिया” उपकरण सिर्फ जीएसटी पंजीकृत दुकानों से खरीदने की सलाह दी।
वह आगे कहे कि सम्मेलन पर्यटन में भारत के लिए 25 लाख करोड़ रुपये का अवसर है। ‘यशोभूमि’ द्वारका सेक्टर 25′ नामक नई मेट्रो स्टेशन से दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन से जुड़ा जाएगा।
प्रधानमंत्री द्वारा अध्यक्षित अर्थिक मामले की कैबिनेट समिति ने पिछले महीने 13,000 करोड़ रुपये की वित्तीय योजना ‘पीएम विश्वकर्मा’ को मंजूरी दी थी।
‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना के अंतर्गत, शिल्पकारों और कारीगरों को पहचान, ऋण सहायता और कौशल विकास जैसी सहायता प्रदान की जाएगी।
जो शिल्पकार और कारीगर हाथ और उपकरणों से काम करते हैं और 18 पारंपरिक व्यापारों में से किसी एक में लगे हैं, वे इस योजना के लाभ को प्राप्त कर सकते हैं।