नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का असर अब पाकिस्तान में भी नजर आने लगा है। इमरान सरकार ने सभी केंद्रीय शिक्षा संस्थानों के टीचर्स के लिए एक फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि फेडरल डायरेक्टोरेट एजुकेशन (FDE) के तहत आने वाले किसी भी स्कूल, कॉलेज या यूनिवर्सिटी के टीचर्स जीन्स, टीशर्ट्स या टाइट्स नहीं पहन सकेंगे। बता दें यहीं इसके कुछ दिन पहले ही बहावलपुर मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स को भी इस तरह के कपड़े पहनने से रोका गया था।
पाकिस्तान के मशहूर शिक्षाविद परवेज हुदभाय समेत कई लोगों ने सरकार के इस आदेश का विरोध किया है। परवेज ने एक टीवी प्रोग्राम में कहा- हम हर मामले में पहले ही बहुत पीछे रह गए हैं, अब सरकार क्वॉलिटी एजुकेशन के बजाए तालिबान का निजाम अपनाने जा रही है।
इमरान सरकार ने यह नोटिफिकेशन FDE के माध्यम से 7 सितंबर को जारी कराया। इसमें कहा गया है- FDE ने रिसर्च के दौरान यह पाया है कि पहनावे का असर लोगों के जेहन पर उससे कहीं ज्यादा होता है, जितना समझा जाता है। पहला प्रभाव तो छात्रों पर ही होता है। हमने यह तय किया है कि महिला शिक्षक अब से जीन्स या टाइट्स नहीं पहन सकेंगी। पुरुष शिक्षकों के भी जीन्स और टी-शर्ट पहनने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जा रही है। उन्हें क्लास और लैब्स में टीचिंग गाउन्स या कोट्स पहनना जरूरी होगा।
पंजाब प्रांत में भी इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार है। यहां पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने बहावलपुर मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स के जीन्स और टी-शर्ट पहनने पर रोक लगाते हुए कहा था कि सिर्फ परंपरागत कपड़े ही पहने जा सकेंगे और इसके ऊपर मेडिकल कोट जरूरी होगा।
पाकिस्तान के न्यूज चैनलों पर सरकार के इस फरमान के खिलाफ आवाजें भी उठनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि जिस मुल्क का वजीर-ए-आजम यानी प्रधानमंत्री ही यौन अत्याचार के लिए महिलाओं के लिबास को दोष देता हो, वहां तो इस तरह के फरमान जारी होने ही थे। लेकिन, उन्हें यह बताना चाहिए कि 3 साल की बच्चियों के साथ होने वाले रेप और मर्डर के लिए कौन से नियम लागू होते हैं।
इमरान ने पिछले दिनों एक भाषण में कहा था कि देश में होने वाले यौन अपराधों के लिए महिलाओं के वेस्टर्न आउटफिट और दूसरे देशों की फिल्में भी जिम्मेदार हैं और लोगों को पश्चिमी मानसिकता से बचना चाहिए। ये मानसिक गुलामी है।