उत्तर प्रदेश के कासगंज में पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए एक युवक की कथित रूप से पुलिस द्वारा पीटे जाने के कारण मौत हो गई थी। जिसके बाद इस मामले में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इस घटना को लेकर मृतक के परिजनों का आरोप है कि, पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने की वजह से उसकी मौत हुई है।
जिसके बाद इस मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और अन्य विपक्ष के लोगों ने बीते बुधवार को ट्विटर कर योगी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि राज्य में मानवाधिकार नाम की कोई चीज नहीं बची है तथा वहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
इस मामले को लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘‘क्या उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ बची है?’’
तो वहीं प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि, ‘‘कासगंज में अल्ताफ, आगरा में अरुण वाल्मीकि, सुल्तानपुर में राजेश कोरी की पुलिस हिरासत में मौत जैसी घटनाओं से साफ है कि रक्षक, भक्षक बन चुके हैं।’’ प्रियंका गांधी ने दावा करते हुए कहा कि, ‘‘उप्र पुलिस हिरासत में मौत के मामले में देश में सबसे ऊपर है। भाजपा राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।’’
इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा कि, “कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है। लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है। इस मामले में इंसाफ़ व भाजपा के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जाँच होनी ही चाहिए।”
बताते चलें कि, इस मामले पर पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे का कहना है कि मंगलवार को एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से बहला-फुसलाकर साथ ले जाने के एक मामले में पूछताछ के लिए नगला सैयद इलाके के रहने वाले अल्ताफ (22) नामक युवक को हिरासत में लिया गया था।
रोहन प्रमोद बोत्रे ने आगे कहा कि, पूछताछ के दौरान अल्ताफ ने हवालात के अंदर बने बाथरूम में जाने की इच्छा जताई। इस पर उसे इजाजत दे दी गई। वहां उसने जैकेट के हुड में लगी डोरी को बाथरूम के नल में फंसा कर अपना गला घोंटने की कोशिश की। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।