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बुधवार, नवम्बर 27, 2024
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महज 4 साल के बच्चें को हत्या समेत कई मामलों में सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा, जानिए आखिर क्या था मामला!

नई दिल्ली: आज हम आपको एक ऐसे फैसले के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जो एक 4 साल के बच्चे से संबंधित है।‌ कई बार इस कोर्ट के फैसले भी चौकाने वाले और हैरान करने वाले होते हैं।

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मामला सामने आया मिस्त्र से जहां पर एक 4 साल के बच्चे को ऐसा सजा सुनाई गई, जिसके बारे में दुनिया के अंत कर भी सोचा तक नहीं जा सकता है। ये अजब तरह का मामला जब दुनिया के सामने आया तो हर कोई चौंककर रह गया था। कोर्ट ने यहां हत्या के एक केस में महज चार साल के इस बच्चे को ताउम्र कैद की सजा सुना दी गई थी।

यहां पर जो हैरान करने वाली बात है, वो यह है कि जिस वक्त मर्डर को अंजाम दिया गया उस दौरान बच्चा बस एक साल का था और जब सजा सुनाई गई थी तब बच्चा कोर्ट मौजूद तक नहीं था। मिस्त्र के पश्‍चिम काहिरा स्थित कोर्ट ने ये उम्रकैद वाली सजा सुनाई। उस बच्‍चे का नाम था अहमद मंसूर करमी। कोर्ट ने उसे 4 लोगों की हत्या, 8 लोगों को जान से मारने की कोशिश करने, प्रॉपर्टी को क्षति पहुंचाने, पुलिस को धमकी देने के जुर्म इस तरह की सजा दी थी।

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कोर्ट ने अहमद मंसूर करमी के साथ ही 115 लोगों को साल 2014 के एक केस में ये सुनाई थी।

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अहमद मंसूर के वकील की मानें तो बच्चे का नाम सजा पाए लोगों की लिस्ट में गलती से शामिल हुआ था। वकील ने तब ये बताया था लोगों को कि बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र कोर्ट में जज के सामने पेश नहीं किया जा सका, जिससे साबित किया जा सके कि उसका जन्म 2012 में हुआ है।

दरअसल बच्चे को इतनी बड़ी सजा सुनाए जाने के बाद लोगों ने कोर्ट के फैसले का काफी विरोध किया और सोशल मीडिया पर भी तब काफी ज्यादा इस फैसले को लेकर विरोध जताया गया।

आपको यह जानकर तो काफी अजीब लगा होगा कि बच्चे को एक साल तक ऐसी जगह पर रखा गया जहां पर कोई बड़ी उम्र का इंसान भी जाने से डरे। जी हां बच्चे को एक साल तक जेल में ही रखा गया था, लेकिन बात जब इंटरनेशनल स्तर पर उठी तब जाकर जांच नए सिरे से की गई और कोर्ट ने अपनी गलती भी मानी फिर बच्चे को रिहा किया गया। कहा तो ये भी जाता है कि इसे केस में कोई शुरुआती जांच भी नहीं की गई थी और बिना किसी जांच के ही बच्चे को सजा सुनाई गई।

वहीं दूसरी तरफ ये बताया गया कि जो सुरक्षा बल थे उन्होंने गलती से बच्चे का नाम लिस्ट में डाला। ऐसे में सुरक्षा बलों को इस बात की जानकारी और बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र भी दिया गया लेकिन केस सेना कोर्ट में पहुंच गया था और सजा चार साल के बच्चे को भी दे दी गई।

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