न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ है। इस कार्यक्रम के दौरान हमलावर ने मंच पर चढकर सलमान रुश्दी पर चाकू से अटैक किया है। हमलावर ने उन्हें मुक्के भी मारे हैं। आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में 75 वर्षीय सलमान रुश्दी लेक्चर देने के लिए गए थे। इस हमले में सलमान रुश्दी घायल हो गए है। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि न्यूयॉर्क पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया है।
न्यूयॉर्क पुलिस के अनुसार चौटाउक्वा संस्थान में एक भाषण कार्यक्रम के दौरान लेखक सलमान रुश्दी परजानलेवा हमला हुआ है, जिसकी जांच की जा रही हैं. लगभग 11 बजे चौटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम में जब रुश्दी भाषण देने जा रहे थे तभी उन पर एक संदिग्ध व्यक्ति ने मंच पर चढकर हमला कर दिया। उनकी गर्दन पर चाकू से वार करने के बाद उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए अस्पताल ले जाया गया था। उनकी हालत के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। साक्षात्कारकर्ता को भी सिर में चोट आई है।
सलमान रुश्दी पर हमले के बारे में पता चलने पर कई हस्तियों ने ट्वीट कर चिंता जताई है। लेखिका तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट करते हुए लिखा “मुझे अभी पता चला कि न्यूयॉर्क में सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था। मैं इस बात से स्तब्ध हूं। यदि उन पर हमला हो सकता है तो इस्लाम की आलोचना करने वाले किसी भी व्यक्ति पर हमला हो सकता है। जिससे मैं चिंतित हूं।
इस घटना के एक चश्मदीद कार्ल लेवन ने इस बार में ट्वीट कर कहा है कि सलमान रुश्दी की हत्या करने की कोशिश की गई है। हमलावर ने सलमान रश्दी को कई बार चाकू मारा है। जिसके बाद सुरक्षाबलों के द्वारा हमलावर को पकड़ लिया गया है। तभी दर्शकों के बीच से कुछ सदस्य भागकर मंच पर पहुंचे थे।
आपको बता दें कि सलमान रुश्दी भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक है, जो पिछले 20 वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं। सलमान रुश्दी कोउनकी किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर धमकियां मिल रही थी। इस बुक 1988 से ईरान में बैन किया गया है। इस किताब में इस्लाम के प्रति ईशनिंदा की गई है। ऐसा आरोप लगाया गया है। इतना ही नहीं शीर्ष ईरानी नेता ने उनके सर पर इनाम भी रखा था।
रुश्दी का पहला नोवल 1975 में आया था। मिडनाइट्स चिल्ड्रन (1981) के लिए उन्हें बुकर प्राइज दिया गया था। ये नोवल आधुनिक भारत के बारे में है। 2007 में, इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा उन्हें साहित्य की सेवाओं के लिए ‘सर’ की उपाधि से नवाजा गया था।
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