साल 1947 में भारत की धरती पर चीतों का अस्तित्व समाप्त हो गया था और उसके बाद कभी भी चीता को भारत में कभी नहीं देखा गया लेकिन हाल ही में भारत सरकार ने चीता की घर वापसी करवाई परंतु नए वातावरण के होने से सभी चिंता में थे कि क्या भारत में चीता फिर से पनप पाएंगे या फिर नहीं।
लेकिन अब इस पर से भी पर्दा उठ चुका है, दरअसल बीती 29 मार्च को ऐसी खबर सामने आई जिसे सुनने के बाद फिर से भारत में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। बता दें कि बीते बुधवार को नामीबिया से भारत लाए गए चीतों में से एक चीते ने चार शावकों को जन्म दिया, जिसकी जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी।
अगर बात करें भारत में चीता की विलुप्ती की तो इसे आखिरी बार छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में देखा गया था लेकिन उस समय वो आखिरी चीता मृत पाया गया था और साल 1952 में ये घोषित कर दिया गया कि भारत की धरती पर चीता विलुप्त हो चुका है।
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बता दें कि चीता के शावकों को जन्म देने के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस कदम से अतीत में की गई गलतियों को सुधारा जा सकता है, मैं इसके लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ की पूरी टीम को बधाई देता हूँ।
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अगर इन चीतों की घर वापसी पर बात करें तो इन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के 72वें जन्मदिन पर भारत लाया गया था, इसमें 5 मादा चीता थी और 3 नर चीता थे और इन्हें संरक्षण देने के लिए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया था।
इस खुशखबरी के आने से पहले एक दुखद खबर भी आई थी जिसने सभी को चिंता में डाल दिया था, दरअसल बीते 27 मार्च को लाए गए चीता में से साशा नामक एक मादा चीता की गुर्दे की बीमारी के चलते मौत हो गई थी और इसकी जानकारी मध्य प्रदेश के वन और वन्यजीवन अधिकारियों ने दी थी।
इससे पहले भारत में चीतों की तादाद बढ़ाने के लिए बीती 18 फरवरी को 12 अन्य चीते भी लाए गए थे और इन्हें दक्षिण अफ्रीका से मंगवाया गया था और इन्हें भी मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही छोड़ा गया था।
हालांकि चाहे कुछ भी हो लेकिन इन शावकों के जन्म के बाद ये तो साबित हो गया है कि भारत की धरती पर फिर से चीता को आसानी से देखा जा सकेगा।