देश में आए दिन रेप के मामले आते रहते हैं। इतने सख्त कानून के बाद भी रेप के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुआ वो भयानक दिन आखिर किसको याद नहीं होगा। 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली में कुछ ऐसा हुआ था कि पूरा देश महिलाओं की सुरक्षा के लिए सड़क पर आ गया। लेकिन क्या सवाल ये उठता है कि क्या महिलाएं आज भी सुरक्षित हैं ?
इन दिनों Marital Rape चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन आखिर ये मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म होता क्या है ? मैरिटल रेप हमेशा से ही बहस का मुद्दा रहा है। जब एक पुरुष अपनी पत्नी की सहमति के बिना जबरन संबंध बनाता है तो इसे वैवाहिक दुष्कर्म कहा जाता है। इसके लिए पति किसी तरह के बल का प्रयोग करता है, पत्नी या किसी ऐसे शख्स को जिसकी पत्नी परवाह करती हो उसे चोट पहुंचाने का डर दिखाता है।
क्या है रेप ?
आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़ अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ इन परिस्थितियों में यौन संभोग करता है तो उसे रेप जाता है।
- महिला की मर्जी के बिना
- महिला की मर्जी से, लेकिन ऐसा करने से अगर उसे मौत या नुक़सान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर किया गया हो।
- महिला की सहमति से, लेकिन महिला ने ये सहमति उस व्यक्ति की पत्नी होने के की वजह से दी हो।
- महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति देते वक्त महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो या फिर उस पर किसी नशीले पदार्थ का प्रभाव हो और लड़की कंसेट देने के नतीजों को समझने की स्थिति में न हो।
- महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना किया गया सेक्स।
क्या है मैरिटल रेप ?
बात अगर Marital Rape के बारे में कि जाए तो IPC की धारा में वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप का कोई जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन धारा 376 रेप के लिए सजा का प्रावधान करता है और इस धारा में अगर पत्नी 12 साल से कम उम्र की है तो उसे रेप कहा जाएगा। इसमें कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर बलात्कार करता है तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
375 और 376 के प्रावधानों के बारे में ये कहा जा सकता है कि अगर सेक्स करने की सहमति देने की उम्र तो 16 है लेकिन 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का कोई मूल्य नहीं है। आखिर यह कहां तक सही है ? बिना सहमती के किसी भी तरह का संबंध बनाना रेप ही होता है। चाहे वो पत्नी के साथ हो या किसी और के साथ।
महिलाओं के लिए कई एक्ट बनाए गए हैं। कोई उनका महिलाओं के पक्ष में है, तो कोई उनके खिलाफ। हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार पति और पत्नी के लिए एक दूसरे के प्रति कुछ जिम्मेदारियां तय करता है। क़ानूनन में ये कहा गया है कि सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक मांगा जा सकता है। इसके अलावा साल 2005 में घरेलू हिंसा क़ानून लाया गया था। ये क़ानून महिलाओं घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है।
हाल ही में यह मुद्दा कोर्ट तक पहुंचा जिसमें सबका कहना अलग-अलग था। किसी ने कहा कि ये अपराध है तो किसी ने कहा की पति का अपनी पत्नी पर पूरा हक है और इसे रेप नहीं कहेंगे।
खैर इन सब से लोगो को जागरुक करने के लिए कई फिल्में भी बनी हैं। ऐसे में आज हम आपको उन फिल्मों की लिस्ट देंगे जो Marital Rape के खिलाफ बनी हैं।
क्रिमिनल जस्टिस- 2
क्रिमिनल जस्टिस- 2 सीरीज मैरिटल रेप पर आधारित हैं। इस फिल्म में कीर्ति कुल्हारी, पंकज त्रिपाठी और अनुप्रिया गोयंका जैसे कलाकार हैं। सीरीज में अपने पति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कीर्ति का किरदार खुद मैरिटल रेप का शिकार है।
लिप्स्टिक अंडर माय बुर्का
लिप्स्टिक अंडर माय बुर्का ऐसी फिल्म थी, जिसने समाज के हर वर्ग को आइना दिखाया। फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा ने मैरिटल रेप पीड़ित दिखाया गया है।
पार्च्ड
राधिका आप्टे, सुरवीन चावला और सयानी गुप्ता स्टारर फिल्म पार्च्ड में भी मैरिटल रेप का प्रमुखता से दिखाया गया है। फिल्म में न सिर्फ मैरिटल रेप बल्कि बाल विवाह और घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे भी दिखाए गए हैं।
इनके अलावा फिल्म आकाशवाणी, प्रवोक्ड और सात खून माफ फिल्म में भी Marital Rape के बारे में कहा गया है।