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मेजर जनरल इयान कार्डोजो का जीवन परिचय (Major General Ian Cardozo Biography )

मेजर जनरल इयान कार्डोजो का जीवन परिचय (Major General Ian Cardozo Biography )

आज हम भारतीय सेनानी मेजर जनरल इयान कार्डोजो के बारें में जानेंगे , जो 1971 में होने वाले भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में लड़े और युद्ध जीता भी। युद्ध के दौरान इनके पैर में गोली लग गयी थी। गोली लगने के बाद जब उनको ऑपरेशन के लिए ले जाया जा रहा था तब भी उन्होंने कहा की “इन पाकिस्तानियों से में खून नहीं लूगा । 1971 में हुए युद्ध के स्वर्णिम विजय को 50 वर्ष पुरे हो गए है। इस युद्ध को भारतीय सैनानी की बहादुरी और वीरता के लिए याद किया जाता है।

जन्म और परिवार :

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इयान कार्डोजो का जन्म 7 अगस्त 1937 में बॉम्बे, ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत में हुआ था। इनके पिता जी का नाम डायना कार्डोज़ो था। इनकी माता जी का नाम विन्सेंट कार्डोज़ो था। यह ईसाई धर्म से है। इयान बचपन से ही अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे। इयान बहुत ही सधारण-सा जीवन जीते थे लेकिन उनके अंदर बचपन से सेना के अंदर जाने का जूनून था। इसी जूनून के चलते ही वो “नेशनल डिफेंस एकेडमी” में भर्ती हुए। नेशनल डिफेंस एकेडमी में अपने अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें सिल्वर और गोल्ड मैडल भी मिला।

इयान कार्डोजो का वैवाहिक-जीवन :

इनका विवाह सन 1966 में प्रिसिला कार्डोज़ो के साथ हुआ था। इनके 3 बच्चे है जिनका नाम अरुण ,सुनीता और विक्रम है।

इयान कार्डोजो की कहानी :

सन 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी। तो उस समय गोरखा राइफल्स पिछले 4 दिन से सोये नहीं थे की उसी दौरान एक मिशन आया और उन्हें जाने का आदेश हुआ। तभी 3 केवल 384 गोरखा राइफल्स को हेलीकाप्टर के जरिये पाकिस्तान सैनिको के बीचो-बीच उतरा गया जहाँ पैर पहले से है पाकिस्तान के 8000 सैनिक मौजूद थे। इसके बारे में भारतीय सेना को कोई आभास नहीं था।

जब भारतीय सेना को वहां उतरा गया तो बीबीसी को लगा की भारतीय सेना ने अपनी ब्रिगेड को लैंड करवाया है और इस खबर को उन्होंने रेडियो पर बता दी। यह सुनकर पाकिस्तान की सेना सचेत हो गयी और संभल कर लड़ने लगी।

इसी बीच वो थोड़े से सैनिक कई दिनों तक पाकिस्तानी सेना से लड़ते रहे और फिर कुछ दिनों बाद पाकिस्तानी सेना ने अपने घुटने टेक दिए। इसके बाद सिलहट में भी पाकिस्तनि सेना आत्मसमर्पण करने ही वाली थी कि वहां एक घटना घटी और इयान कार्डोज़ो का पैर पाकिस्तानी सेना के द्वारा बिछाई हुए लैंड माइन पर आ गया। इस घटना के परिणामस्वरूप उनका पैर बहुत बुरी तेरा से जख़्मी हो गया था।

ऐसा क्या हुआ कि इयान कार्डोजो ने काटा अपना पैर :

जब घायल स्थिति में इयान कैप पहुंचे तो उनकी हालत बहुत ही गंभीर थीं और जब इयान होश में आये तो दर्द के कारण उनका हाल बहुत बुरा था। यहाँ तक की इनकी हालत को देख कर बाकि सैनिक बहुत डर गए थे। कैप में डॉक्टर को आने में काफी समय लग रहा था। इसके दौरान इयान ने अपना इलाज खुद करने का फैसला लिया इसके लिए सैनिक से “मॉर्फिन” नाम की दवाई माँगी मगर वो दवाई नही मिली। इसके बाद इयान ने एक सैनिक को उनका पैर काटने को कहा लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नही थी वो ऐसा कर सके इसलिए उन्होंने मना कर दिया।

इतने दर्द के बावजूद भी इयान ने अपनी खुखरी निकालकर खुद ही अपना पैर काट लिया। इयान का नसीब अच्छा था कि जिन पाकिस्तानी सैनिको ने आत्मसमर्पण किया था उन्ही में से एक सैनिक डॉक्टर सैनिक था। लेकिन इयान का कहना था कि वो किसी पाकस्तानी का खून नहीं लगे और ना ही किसी पाकिस्तानी डॉक्टर से अपना इलाज करवाएँगे। अन्य सैनिको के कहने पर इयान अपना इलाज करवाने के लिए तैयार हो गए। इयान की इस बहादुरी के लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

इयान बने पहले अक्षम ऑफिसर :

इयान का पैर काटने के बाद इन्हें बहुत-सी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद इन्हें भारतीय सेना के दफ्तर में बैठने का प्रस्ताव मिला इन्होनें इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि मैं भारतीय सेना में युद्ध लड़ने की लिए शामिल हुए है ना कि आराम से बैठने की लिये। इस मामले में इयान की सीनियर ऑफ़िसर ने काफी समझाया लेकिन वो नही समझे और फिर 7 साल बाद इयान ने शारीरिक फिटनेस टेस्ट देने की अनुमति ली।

इस शारीरिक फिटनेस टेस्ट में इयान पास हो गये जिसे देख कर बाकि सारे हैरान हो गए। इसके बाद भारतीय सेना के नियमो में बदलाव किये गए और तब से ही विकलांग हुए सैनिकों को सेना में काम करने के साथ-साथ उन्हें उच्च पद पर नौकरी दी जाने लगी। इस प्रकार इयान पहले शारीरक रूप से अक्षम ऑफिसर बने।

इयान कार्डोज़ो के जीवन से बॉलीवुड बहुत प्रभावित हुआ है। यहाँ तक कि इनकी बहादुरी को देख कर “गोरखा” नाम कि फिल्म भी बनाई जिसमें बोलीवुड के स्टार अक्षय कुमार ने इयान कि भूमिका निभाई है।

इयान कार्डोज़ो लेखक भी हैं :

इयान को लिखने का बहुत शोक है इन्होनें युद्ध से काफी प्रभावित होकर कई किताबे लिखी है। इनके द्वारा लिखी हुई पहली फिल्म का नाम 1971: स्टोरीज़ ऑफ़ ग्रिट एंड ग्लोरी फ्रॉम द इंडो-पाक वॉर था। इसके इलावा इन्होनें बहुत-सी किताबें लिखी जिनमें से कुछ निम्नलिखित है :
1 परम वीर: अवर हीरोज इन बैटल,
2 शैतान सिंह: इनक्रेडिबल हीरोइज्म डिस्प्लेड बाय ए स्मॉल ग्रुप अगेंस्ट होर्ड्स ऑफ चाइनीज इन द बैटल ऑफ रेजांग ला इन 1962,
3 द सिंकिंग ऑफ आईएनएस,
4 खुखरी: सर्वाइवर स्टोरीज आदि।

मनप्रीत
मनप्रीत
मेरा नाम मनप्रीत हैं। मैं BA ग्रेजुएट हूँ। लेखन मेरे लिए एक हॉबी के साथ साथ रोज कुछ नया सीखने का तरीका भी है। खाली समय में मुझे नए नए व्यंजन पकाना, म्यूजिक सुनना व डांस करना पसंद है।

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