देशभर में 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर हर कोई अपने शिक्षक को याद कर आभार जताता है। आज के दिन इंसान हर उस शक्स को याद करता है जिसन उसे मार्गदर्शक दिया होता है। आज हम आपको भारत की कई ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिन्होंने देश का रुख ही बदल दिया।
शिक्षक दिवस के दिन हम अक्सर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ही याद करते हैं, लेकिन 1840 के दशक में भारत में सक्रिय रहने वाली भारत की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली का रुख ही बदल दिया था।
टीचर्स डे के इस मौके पर आज हम आपको उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। 1840 में जब सावित्रीबाई फुले केवल 9 साल की थीं तब उनका विवाह ज्योतिराव फुले से हो गया था। सावित्रीबाई बचपन से ही एक दिलेर महिला थां और गलत के खिलाफ आवाज उठाती रहती थीं, उनको पढ़ई करने का बहुत शौक था। इसलिए ज्योतिराव फुले ने उनको आगे पढ़या।
महाराष्ट्र में समाज सेवा को लेकर उनका नाम बहुत ऊपर लिया जाता है। उस दौर में लोग महिलाओं को पढ़ाते नहीं थे, तब उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकार के लिए काम किया। इसके अलावा वो ब्रिटिश राज में भेदभाव को लेकर अक्सर अपनी आवाज़ उठाती थीं। सावित्रीबाई फुले ने 1 जनवरी 1848 को पुणे के भिडेवाडा में पहला स्कूल शुरू किया। उन्होंने 18 स्कूल बनाए थे। उनके पहले स्कूल में अलग-अलग जातियों की सिर्फ 8 लड़कियां पढ़ने आती थीं। इसके अलावा उन्होंने उन विधवाओं के लिए जिन्हें उनके परिवार से निकाल देते थे और यौन शोषण करते थे उनके लिए एक घर भी बनाया था।
सावित्रीबाई और उनके पति को काफि मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसपर उच्च जाति के लोग उनका विरोध करते थे। लोग उनको पत्थरों से मारते थे, उन पर गंदगी फेंकते थे। समाज के ताने सुनने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने पति के साथ मिलकर लड़ती रहीं। सावित्रीबाई फुले की मृत्यु 1897 में संसार की सबसे पुरानी महामारी प्लेग से हुई थी। वो मरीज़ों का ध्यान रखते हुए इन्फेक्शन की चपेट में आ गईं थी। महाराष्ट्र सरकार ने उनके इस जोश को देखते हुए उनके सम्मान में पुणे की यूनिवर्सिटी का नाम सावित्रीबाई फुले के नाम पर रख दिया है।