सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सहमति जताई कि लखीमपुर खीरी हिंसा में राज्य की एसआईटी की दिन-प्रतिदिन जांच की निगरानी के लिए उसकी पसंद के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया जाए। आपको बता दें कि इस मामले में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।
राज्य को जांच दल में शामिल करने के लिए, शीर्ष अदालत ने राज्य की सहमति को संज्ञान में लेते हुए मामले में चल रही एसआईटी जांच के लिए आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे, जो यूपी के मूल निवासी ना हो बल्कि यूपी कैडर के हो।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘आप कुछ आईपीएस अधिकारियों के नाम क्यों नहीं बताते। हमारा मतलब है सीधे भर्ती हुए आईपीएस अधिकारी के नाम दिये जाए जो यूपी कैडर में हैं औऱ जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी नहीं हो।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ द्वारा पहले दिए गए सुझाव पर एक बयान दिया है कि, “मैंने निर्देश ले लिया है और विशेष की देखरेख के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति पर आपका आधिपत्य आदेश दे सकता है। जांच दल (एसआईटी) जांच कर रही है।
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पीठ ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश का नाम तय करने के लिए उसे एक दिन चाहिए और वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो सकता है।