कूल्हों में दर्द के कई कारण हो सकते है, जैसे कि कूल्हे के जोड़ों का घिसना, वक्त के साथ उनमें फ्रैक्चर की समस्या आना, लम्बे समय तक एक ही जगह बैठे रहना, उम्र, बढ़ा हुआ वजन, गलत पोश्चर, टेंडन्स या फिर मांसपेशियों में टूट-फूट।
इसके अलावा कुछ गंभीर बीमारियां भी कूल्हों में दर्द की समस्या को पैदा कर सकती है और अगर समय रहते इसका इलाज ना कराया जाए। तो इस दर्द के कारण आपका चलना-फिरना और उठना-बैठना भी मुश्किल हो सकता है।
अब ऐसा नहीं है कि यह समस्या आ गई तो इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन तभी तक जब शुरूआती लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज कर लिया जाए। अगर आप शुरूआत में ही ध्यान दें तो अन्य तकलीफों की तरह ही इससे भी राहत मिल सकती है।
ऐसें में आप क्या उपाय या इलाज कर सकते है। इसकी जानकारी आज हम आपको देने वाले है तो आइए जानते है।
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किन बातों का रखें ध्यान ?
जैसे हमारे शरीर को आराम की जरूरत होती है वैसे ही हमारे कूल्हों को भी आराम की जरूरत होती है। लेकिन इसके लिए भी यह ध्यान रखना जरूरी है कि कूल्हों को आराम बैठकर या गलत तरीके से लेटकर नहीं देना चाहिए।
क्योंकि दर्द के दौरान कूल्हों के जोड़ या मांसपेशियों पर पड़ने वाला दबाव स्थिति को और अधिक खराब कर सकता है। इसके लिए जरूरत है कि आप भारी एक्सरसाइज जैसे कि रनिंग, किकबॉक्सिंग, रस्सी कूदने जैसी चीजों से कुछ समय के लिए दूरी बना लें।
कैसे पाएं कूल्हों के दर्द से राहत ?
अगर आप कूल्हों के दर्द की समस्या का सामना कर रहे है तो ध्यान रखें कि आपका वजन ज्यादा ना हो क्योंकि हमारे शरीर में अधिक वजन का सीधा असर हमारे कूल्हों और घुटनों पर दबाव डालता है। हमेशा स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें और किसी भी एक्सराइज को शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
क्या कर सकते है उपाय ?
सिकाई
आप गरम पानी या हॉट वॉटर बैग से अपने कूल्हों की सिकाई करें और फिर बर्फ के पानी या आइस पैक से सेकाई करें। इससे आपको आराम मिल सकता है।
सही जूतों का करें इस्तेमाल
ज्यादा हील वाले जूतें कभी नहीं पहनने चाहिए। यह भी आपके कूल्हों में दर्द की समस्या बन सकते है क्योंकि ऊंची एड़ी के जूते आपके पैरों को गलत एंगल पर रखते हैं जिससे दबाव कूल्हों तक पहुंच जाता है। ध्यान रखें कि जो जूतें आप इस्तेमाल करें वो सही नाप वाले और आरामदायक हो।
मालिश और एक्यूपंक्चर
आप कूल्हों के दर्द की समस्या को दूर करने के लिए सामान्य मालिश और एक्यूपंक्चर जैसी अलटरनेटिव थैरेपीज का इस्तेमाल कर सकते है। ध्यान रहें इन्हें भी प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति से ही करवाएं।