भारत में 43.63 प्रतिशत लोग भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग करते है लेकिन अगर हम आपसे पूछे कि हिंदी के एक वाक्य में कितने भेद होते है, तो आप शायद ही इसका जवाब दे पाएं लेकिन अब आप चिंता ना करें आज की हमारी पोस्ट में हम हिंदी के वाक्य से जुड़ी सभी जानकारी आपके लिए लेकर आए है।
इसके अलावा जो हिंदी के छात्र हैं और इसका अध्ययन करते हैं अथवा किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं, आज की हमारी पोस्ट उन लोगों को भी काफी काम आएगी।
आज हमारी पोस्ट बहुत ही सरल होने वाली है जिससे आप वाक्य के प्रकार और उनके गुण की जानकारी आसानी से जान पाएंगे और हमें विश्वास है कि आज की हमारी पोस्ट को पढ़ने से आप इन्हें आसानी से याद भी रख पाएंगे।
वाक्य किसे कहा जाता हैं?
वाक्य के भेद को जानने से पहले आइए बात कर लेते है कि आखिर वाक्य किसे कहा जाता हैं? या फिर वाक्य की परिभाषा क्या होती है।
वाक्य की परिभाषा क्या होती है?
”जब हिंदी भाषा में दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह से हमें समूह के संपूर्ण अर्थ की जानकारी मिल जाए उसे वाक्य कहा जाता है। अगर उदाहरण की बात करें तो “पढ़ने से विद्या की प्राप्ति होती है।” इसे हम वाक्य कहते है।
हम इस वाक्य को पढ़ने के बाद समझ गए कि अगर पढ़ेंगे तभी हमें ज्ञान की प्राप्ती होगी क्योंकि यहां पर शब्दों को सही क्रम में रखा गया और यह शब्द आपस में मिलकर एक सार्थक वाक्य बना पाए।
लेकिन अगर हम इसे ऐसे लिखते कि “पढ़ने से विद्या” तो आप इसका सही से अर्थ नहीं निकाल पाते। इसलिए यह वाक्य नही कहलाएगा। इसीलिए जब भी आप किसी वाक्य को लिखे तो यह ध्यान जरूर रखे कि वाक्य सभी भाषाओं का सबसे बड़ा अंग होता है और हमेशा एक वाक्या दो या दो से अधिक शब्दों के समूह से बनता है।
वाक्य के अंग क्या होते है?
अब जब वाक्यों के अंग का जिक्र हुआ है तो हमें यह भी जानना जरूरी है कि वाक्य के अंग क्या-क्या होते है। दरअसल एक वाक्य के दो अंग होते है जिनमे एक अंग होता है उद्देशय और दूसरा होता है विधेय अब उद्देशय और विधेय क्या होते है आइए इन्हें जान लेते है।
उद्देश्य क्या होता है?
जब किसी वाक्य का प्रयोग किसी उद्देशय जैसे कि किसी के बारे में बताने के लिए किया जाए उसे उद्देशय कहा जाता है जैसे कि राम खेलता है। अब इस वाक्य में राम वाक्य का उद्देश है अगर आसान भाषा में बात करें तो वाक्य में मौजूद कर्ता को ही उद्देश्य कहा जाता है।
विधेय क्या होता है?
अगर किसी वाक्य में मौजूद कर्ता के उद्देश्य की बात की जाती है वह वाक्य का दूसरा अंग यानी की विधेय होता है जैसे कि राहुल पढ़ रहा है। इस वाक्य में पढ़ना विधेय है। अगर आसान भाषा में बात करें तो वाक्य में मौजूद क्रिया को विधेय कहा जाता है। ध्यान रखें कि विधेय के अंदर क्रिया तथा क्रिया के विस्तारक दोनों को ही शामिल किया जाता है।
हिंदी के वाक्य के कितने प्रकार के भेद हैं।
अब आप वाक्य की परिभाषा और उसके अंगों को आसानी से जान गए होंगे तो अब बात कर लेते है कि वाक्य के कितने भेद या प्रकार होते है। तो हिंदी के वाक्य में कुल 3 प्रकार होते हैं, जिन्हें अलग-अलग आधारों पर विभाजित किया गया है।
इनमें पहला है रचना/प्रयोग के आधार पर वाक्य का भेद करना, दूसरा है अर्थ के आधार पर वाक्य का भेद और तीसरा है क्रिया के आधार पर वाक्य का भेद।
बता दें कि अगर विकिपीडिया की माने तो आधुनिक व्याकरण की दृष्टि से रचना/प्रयोग के आधार पर तीन भेद होते है जबकि अर्थ के आधार पर आठ भेद होते हैं और क्रिया के आधार पर भेद को वाच्य भी कहा जाता है।
वाक्य के रचना/प्रयोग के आधार पर कितने भेद होते हैं ?
अगर हिंदी भाषा में रचना/प्रयोग के आधार पर वाक्य की बात की जाए तो इसमे कुल तीन भेद या प्रकार होते है। जिनमें पहला है सरल/साधारण वाक्य दूसरा है मिश्र वाक्य और तीसरा होता है संयुक्त वाक्य अब इन्हें आसानी से कैसे समझा जाए। आइए अब उस पर चर्चा कर लेते है।
सरल/साधारण वाक्य क्या होता है ?
हिंदी भाषा के जिन वाक्यों में केवल उद्देश्य और एक विधेय होता है, उस वाक्य को सरल वाक्य कहा जाता है।
सरल वाक्य के नियम क्या होते है ?
सरल वाक्य का पहला नियम होता है कि उसमें केवल एक विधेय और एक उद्देश्य ही होना चाहिए।
सरल वाक्य का दूसरा नियम होता है कि अगर किसी सरल वाक्य में एक से अधिक कर्ता हो और उसमें मौजूद सभी क्रियाएं एक जैसी हो तो उस वाक्य में मौजूद सभी उद्देश्यों को एक ही उद्देश्य के रूप में देखा जाता है।
अगर किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता हो और उसकी क्रियाएं भी एक से अधिक हो लेकिन हर कर्ता के लिए दी गई क्रिया एक समान हो तो उसे भी सरल वाक्या ही माना जाता है।
अगर सरल वाक्य में क्रिया केवल एक हो तो उस वाक्य के मौजूद सभी कर्ता को एक ही उद्देश्य माना जाता है।
अगर किसी वाक्य में मौजूद कर्ता एक समान हो तो सभी क्रियाओं को एक ही विधेय के रूप में माना जाता है।
सरल वाक्य के उदाहरण क्या होता है और उन्हें कैसे पहचाने ?
अगर सरल वाक्य के उदाहरण या उसकी पहचान की बात की जाए तो राजेश के पिता रमेश खूब मेहनत करते हैं यह उदाहरण है और इसमें रमेश – कर्ता (उद्देश्य) है, राजेश के पिता – कर्ता विस्तारक (उद्देश्य) है, मेहनत करते हैं – क्रिया (विधेय) है और खूब मेहनत – क्रिया विस्तारक (विधेय) है।
मिश्र वाक्य क्या है ?
हिंदी भाषा के जिन वाक्यों में किसी प्रधान उपवाक्य के अलावा कई आश्रित उपवाक्य मौजूद होते हैं, उन्हे विशेष रुप से मिश्र या फिर मिश्रित वाक्य कहा जाता हैं।
मिश्र वाक्य के नियम क्या होते है ?
अगर मिश्र/मिश्रित वाक्य के पहले नियम की बात की जाए तो ऐसे वाक्य में एक से अधिक आश्रित उपवाक्य पाए जाते है लेकिन इनका प्रधान उपवाक्य केवल एक ही होता है।