स्मृति ईरानी की स्कसेस को आज सभी जानते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत ही कम उम्र में छोटे पर्दे पर काम करने से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर तय किया है। अगर बात करें स्मृति ईरानी की तो उन्होंने केंद्रीय मंत्री बनने से पहले एकता कपूर के शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में तुलसी का किरदार निभाया था।
इस किरदार को लोगों ने इतना पसंद किया था कि वह स्मृति ईरानी को सच में तुलसी ही मानने लगे थे। लेकिन आज हम उनकी स्कसेस की नहीं बल्कि उनके मजबूरी भरे दिनों की बात करने वाले है, जिसे सुनकर आपको भी विश्वास नहीं होगा।
बता दें कि स्मृति ईरानी जब अपने करियर के दौर की शुरूआत में थी तो वह अपना घर चलाने के लिए क्लीनर का काम करती थी, इसके अलावा उन्होंने McDonald के एक आउटलेट में झाड़ू-पोछे का भी काम किया था, जिसके लिए उन्हें बहुत ही कम सैलरी मिला करती थी।
पिता की शर्त ने किया झाड़ू-पोछा करने के लिए मजबूर ?
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दरअसल, ये सभी बातें स्मृति ईरानी ने खुद ही बताई है, उन्होंने नीलेश मिश्रा के शो द स्लो इंटरव्यू में अपने शुरूआती समय पर बात करते हुए बताया था कि, जब वह मिस इंडिया के लिए सेलेक्ट हो गई थी तो आगे की तैयारियों के लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी।
स्मृति ईरानी ने कहा कि, इसके लिए उन्होंने अपने पिता से लोन मांगा लेकिन उनके पिता ने इस पर एक शर्त रख दी। पिता का कहना था कि मैं तुम्हें पैसे तो दे दूंगा लेकिन तुम्हें ये पैसे मुझे बयाज के साथ लौटाने होंगे लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं कर पाई तो मेरी पसंद के लड़के से शादी करनी होगी। इस पर स्मृति ईरानी ने हां कर दी थी और पिता से लोन ले लिया था।
मेहनत कर लौटाए पिता के पैसे ?
इस दौरान स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि, उन्होंने पिता से पैसे लेते ही ठान लिया था कि वह उन पैसों को जल्दी से लौटा देगी, इसके लिए वह क्लीनर का काम करने लगी। इसके बाद उन्हें ब्यूटी पेजेंट से गिफ्ट मिला तो उन्होंने अपने पिता के पूरे 60,000 रुपये वापस दे दिए लेकिन अभी बयाज देना बाकी थी इसके लिए उन्हें झाडू-पोछे समेत कई काम करने पड़े। इसके अलावा उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया।
कैसे मिला एकता कपूर का शो ?
स्मृति ईरानी बताती है कि वह हफ्ते में 6 दिन काम करती थी और जब उनकी छुट्टी होती थी तो वह ऑडिशन देने जाया करती थी, इसी बीच उन्हें एकता कपूर का शो क्योंकि सास भी कभी बहू थी मिला, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह शो इतना प्रसिद्ध हुआ था कि आज भी कई लोग स्मृति को तुलसी के नाम से ही पहचानते हैं।