26/11 के आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। ये वो दिन था, जब कई लोगों ने अपनों को खोया था, कुछ जो बच गए थे ऐसा लग रहा था मानों उनको एक नया जीवन मिला है। आज इतने सालों बाद भी जब उस दिन को याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
26/11 अटैक में आतंकियों ने 150 से ज्यादा लोगों को मार गिराया था। इस बीच जो डट कर खड़े रहे थे, वो थे हमारे जवान। इन्हीं जवानों में से एक थे संदीप उन्नीकृष्णन। आतंकियों से लड़ते-लड़ते और लोगों को बचाते-बचाते मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी जान तक न्योछावर कर दी और शहीद हो गए।
ये बात तब की है, जब आतंकियों को खत्म करने के लिए 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप ने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो चलाया था। मेजर उन्नीकृष्णन इसी ऑपरेशन में 10 कमांडो की एक टीम को लीड कर रहे थे।
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सभी कमांडो, 28 नवंबर को होटल ताज में दाखिल में हुई थी। होटल की तीसरी मंजिल पर कुछ महिलाओं को आतंकियों ने बंधक बनाकर रखा था और कमरा अंदर से बंद था। जब मेजर संदीप अपने साथी कमांडो सुनील यादव के साथ अंदर गए, तभी यादव को गोली लग गई। मेजर संदीप ने यादव को वहां से बाहर निकलवाया।
कुछ समय बाद जब वह दूसरी मंजिल पर पहुंचे तभी उनकी पीठ पर गोली लग गई। लेकिन गोली लगने के बाद भी उनके हौसले नहीं टूटे। उन्होंने अपने साथियों से कहा, ‘ऊपर मत आना मैं उन्हें संभाल लूंगा।’ उसके बाद जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया, एक के बाद एक दोनों तरफ से गोलियों की आवाज़ें आ रही थी। लेकिन वो आवाज़ें अचानक बंद हो गई। देश के मन में सुकून तो था, कि अब सारे आतंकी मारे गए। लेकिन साथ में आंखों में आंसू भी थे। आंसू संदीप उन्नीकृष्णन के लिए जिन्होंने 28 नवंबर 2008 के ही दिन दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।