नई दिल्ली: आजकल सोशल मीडिया पर सभी जगह एक ही नाम छाया हुआ है बागेश्वर धाम। आपको बता दें, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बोलने के अंदाज को सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। इन्हें देखने वालो और सुननेवाला की संख्या लाखों में है। ये लोग इन्हें पसंद करते हैं और इन्हें अपना गुरु समझते हैं। बागेश्वर धाम से लोगों का इतनी बड़ी संख्या में जुड़ने का मुख्य कारण यह है कि वह बिना जाने अपने भक्तों की मन की बता देते हैं। अधिकतर लोगों का मानना है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर हनुमान जी की असीम कृपा बनी हुई है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वह खुद हनुमान जी का अवतार है। चलिए जाने कौन है पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, उनका जीवन परिचय और बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के तरीका।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कौन है?
महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम) को आज कौन नहीं जानता है। भारत के मध्य प्रदेश राज्य में लगने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कारों के चलते उन्हें देश और विदेशों में काफी लोकप्रियता हासिल हुई है। आपको बता दें धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मुल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले है उन्हें कुछ लोग बजरंगबली का भी अवतार मानते है। माना जाता है जिस भी व्यक्ति की बागेश्वर धाम में अर्जी लगती है, उनकी धीरेंद्र कृष्ण एक कागज पर समस्या लिख देते है और उपाय भी बताते है।
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर महाराज) का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में हुआ था। यह उनका पैतृक स्थान है जहां से इनके जीवन की भी शुरूआत होती है। जानकारी के मुताबिक, बागेश्वर धाम महाराज के परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही बेहद खराब रही है। उनके पिता जी एक पुजारी थे जिनका नाम राम करपाल गर्ग है, वह यजमान बनकर कथा किया करते थे। वहीं इनकी माता का नाम सरोज गर्ग है वह साधारण गृहणी थी। इनका एक छोटा भाई है जिसका नाम शालिग्राम गर्ग है, इन्होनें भी खुद को बागेश्वर धाम को समर्पित किया हुआ हैं। उनकी एक बहन भी है जिसका नाम रीता गर्ग है। आपको बता दें Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishn Shastri ने अभी विवाह नहीं किया है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पालन पोषण सादे ढंग से किया गया है। आपको बता दें, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दादाजी श्री भगवान दास गर्ग को ही अपना सच्चा गुरु मानते हैं। जानकारी के मुताबिक, धीरेंद्र शास्त्री के दादा जी निर्मोही अखाड़े के सदस्य रहे थे। दादा के समय से धीरेंद्र शास्त्री को रामायण और भगवत गीता से बेहद लगाव हुआ था।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शिक्षा
आपको बता दें, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी शुरूआती परीक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की है। मात्र 12 साल की आयु में उन्होनें प्रवचन देना शुरू कर दिया था। इसके बाद कला वर्ग से स्नातक पूरा करने के बाद उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा के प्रति समर्पित कर दिया था, जब से ही उन्होनें मानव सेवा को ही अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाया है। आपको बता दें, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक वंशावली ब्राह्मण है, उनका शुक्ला परिवार है जिस वजह से उन्हें बचपन से घर में पूजा पाठ और भक्ति का माहौल देखने को मिला है। अपने दादा से प्रेरणा हासिल कर धीरेंद्र कृष्ण ने बागेश्वर धाम का हिस्सा बनना शुरू कर दिया था। फिर इस दरबार से ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री मशहूर हो गए और लोगों को उनकी कथा का अंदाज और वाचन काफी ज्यादा पसंद आने लगे।
बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के तरीके
जब कभी किसी श्रद्धालु को बागेश्वर धाम में अर्जी लगानी होती है तो पहले उन्हें दरबार में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके बाद उन्हें एक टोकन दे दिया जाता हैं। आपको बता दें रजिस्ट्रेशन में श्रद्धालुओं का फोन नंबर और घर का पता इत्यादि लिया जाता है। इसके आगे मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर वहां हजारों में लोग होते है जिन्हें लाल और काले रंग की पोटली में से किसी एक को चुन्ना होता है। काली रंग की पोटली भूत प्रेत जैसी समस्याओं के लिए होती है और लाल पोटली घरेलू समस्याओं के लिए दी जाती है। इस पोटली में श्रद्धालु नारियल को बांधकर अपनी समस्या दोहराते रहते है और दरबार तक पहुंच जाते है। साथ ही आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के इस दरबार का समय मंगलवार और शनिवार को ही होता है।