भारत में सदियों से धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन पर पुरुषों की सत्ता कायम रही है। इसके बावजूद महिलाओं ने अपना योगदान इतिहास में हमेशा दर्ज कराया है। बहुत कम ही लोगों को यह पता होगा कि भारत में कई ऐसी रचनाएँ भी हैं जिन्हें उस समय की महिलाओं ने बनवाया था ।
1) इतमाद उद दौला, आगरा
इतमाद उद दौला का मकबरा नूरजंहाँ द्वारा अपने पिता मिर्ज़ा गियास बेग को श्रद्धांजलि देने हेतु यमुना के किनारे पर बनवाया था। मिर्ज़ा गियास बेग को इतमाद उद दौला उपनाम दिया गया था। यह भारतीय इतिहास में निर्मित संगमरमर का सर्वप्रथम मकबरा है।
2) विरुपाक्ष मंदिर,पट्टदकल
हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। विरुपाक्ष मंदिर 740 ई.पू. में रानी लोकमहादेवी द्वारा अपने पति राजा विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लव शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में पट्टदकल में बनवाया गया था। यह मंदिर निर्माण में उत्तर भारतीय नागर कला और दक्षिण भारतीय द्रविड़ कला का एक सुन्दर और अद्भुत मिश्रण है।
3) हुमायुँ का मकबरा, दिल्ली
दिल्ली में सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से मुगल सम्राट ‘हुमायूं का मक़बरा’ हुमायूं की मौत के बाद उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम द्वारा बनवाया गया था। इस मकबरे का निर्माण भारतीय और पारसी शिल्पकारों द्वारा संयुक्त रुप से किया गया था। इसके निर्माण में शानदार लाल बलुई पत्थरों का प्रयोग किया गया था। यह मकबरा सुन्दरता से पत्थरों को तराशे जाने और टाइल से बेहतरीन सुसज्जा के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। इसमें दोनों ही संस्कृति के सम्पूर्ण सुसज्जित तत्व परिलक्षित होते हैं। यह भारतीय भवन निर्माण कला में निर्मित पहला ऐसा मकबरा है, जिसमें पारसी गुम्बद का प्रयोग किया गया है।
4) रानी का वाव, पाटन
गुजरात के पाटन में स्थित ‘रानी की वाव’ मारू-गुजरा शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। रानी का वाव बावड़ी का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में सोलंकी राजवंश में रानी उदयमती द्वारा अपने पति राजा भीमदेव प्रथम के लिए करवाया गया था।
5) ख्यार अल-मंजिल, दिल्ली
दिल्ली में स्थित पुराने किले के बिल्कुल सामने प्रभावी ढंग से निर्मित दो मंजिला इमारत ख्यार अल-मंजिल का निर्माण 1561 में माहम अंगा द्वारा करवाया गया था। माहम अंगा बादशाह अकबर की सबसे शक्तिशाली परिचारिका थी। दरबार की अत्यंत प्रभावशाली महिला, जिन्होंने अकबर के बचपन में मुगल साम्राज्य पर संक्षिप्त रूप से शासन किया। ये मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है।
6) मीरजान किला, कुमता
यह किला अग्नाशिनी नदी के किनारे पर स्थित है। मीरजान किला ऊँचे रक्षा बुर्जों तथा द्वि-स्तरीय ऊँची दीवारों से घिरा हुआ उन्नत किला है। गेरसोप्पा की रानी चेन्नाभैरादेवी ने इस किले को स्थापित किया तथा सोलहवीं शताब्दी के दौरान लगभग 54 वर्ष तक इस शक्तिशाली किले में निवास किया। इनके साम्राज्य में सर्वश्रेष्ठ काली मिर्च उत्पादन के योग्य भूमि होने के कारण इन्हें पुर्तगालियों द्वारा “रैना दे पिमेन्टा” और “द पैपर क्वीन” की संज्ञा दी गई।
7) लाल दरवाजा मस्जिद, जौनपुर
इस मस्जिद को 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शरकी की बेगम राजई बीबी ने निर्मित कराया था। लाल दरवाजा मस्जिद सन्त सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन को समर्पित है। इस मस्जिद का नाम इसके चमकदार लाल रंग से पोते गए दरवाज़े की वजह से दिया गया है।
8) मोहिनिश्वरा शिवालय मन्दिर, गुलमर्ग
इस मंदिर का निर्माण कश्मीर के तत्कालीन शासक राजा हरि सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने 1915 ई. में करवाया था। मोहिनीश्वर शिवालय मंदिर गुलमर्ग के बीचों-बीच पहाड़ी पर स्थित है। इस मन्दिर का नाम महारानी के सम्मान में मोहिनीश्वर रखा गया था। महारानी मन्दिर कश्मीर के डोगरा राजवंश का शाही मन्दिर है।
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