एक औरत अपने जीवन में कई किरदार निभाती है। घर से लेकर ऑफिस तक किसी को निराश नहीं करती। महिलाओं का शरीर पुरुषों के मुकाबले काफी कमजोर होता है। हर क्षेत्र में महिलाएं, पुरुषों की बराबरी करने में कभी पीछे नहीं हटती। वह किसी की मां है, तो किभी होममेकर, बिजनेसवुमन, टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस, एक महिला क्या नहीं करती। महिला दिवस महिलाओं के इसी जज्बे को सलाम करता है। हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार को दर्शाता है। हर साल 8 मार्च को दुनिया के तमाम देशों में महिला दिवस के मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है। हर जगह महिलाओं को अलग-अलग तरीके से सम्मानित किया जाता है।
महिला दिवस की कब से हुई शुरुआत?
बात 1908 की है जब अमेरिका में एक मजदूर आंदोलन हुआ था। इस आंदेलन में करीब 15 हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क की सड़कों पर मार्च करते हुए अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठाई थी। कामकाजी महिलाओं का कहना थी कि उनकी नौकरी के घंटे कम कर दिए जाएं और वेतन भी बढ़ाया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं से पहले 10-12 घंटे काम कराया जाता था, जोकि बाद में 8 घंटे कर दिया गया। महिलाओं ने मतदान का अधिकार देने की भी मांग की। आंदोलन के एक साल बाद, यानी 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने महिला दिवस मनाने की घोषणा कर दी। उसके अगले साल 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 8 मार्च को महिला दिवस के तौर पर हर साल मनाने का सुझाव दिया गया। साल 1975 में इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की मान्यता दी गई। इसके अलावा भी महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए कई आंदोलन हुए हैं और आज के युग में भी उनके अधिकारों के लिए लड़ाई जारी है।
इन देशों में रहती है छुट्टी
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महिला दिवस के मौके पर कई देशों में छुट्टी भी रहती है। इस दिन अफगानिस्तान-क्यूबा, वियतनाम, कंबोडिया, रूस, बेलरूस, युगांडा और यूक्रेन में छुट्टी रहती है। महिला दिवस का असली उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकार और हक दिलाना है।