आंतरायिक उपवास एक अच्छी जीवनशैली शुरू करने का बेहतरीन तरीका है। आज कल की भाग दौड़ भारी ज़िन्दगी में काफी लोग जंक फूड पर निर्भर होगये है। जिससे उनके स्वस्थ पर काफी असर आया है। आज की युवा पीढ़ी इस आंतरायिक उपवास को अपनाकर अपनी जीवनशैली सुधार सकती है । आइये जानते है क्या होता है आंतरायिक उपवास ?
भारतीय जीवनशैली में व्रत का काफी महत्वपूर्ण स्थान है,व्रत को आस्था और विश्वास का मूल माना जाता है,साथ साथ व्रत स्वस्थ जीवन का अचूक उपाय है, व्रत रखने से आपके शरीर में पाचन करने वाले अंगों को आराम मिलता हैं, मानशिक विकास होता है और साथ साथ शरीर मे वासा की मात्रा को बराबर करता है।
आंतरायिक उपवास का मतलब रुक रुक कर खाना या एक लंबे अंतराल के बाद खाना। इस आपकी शारिरिक शक्ति बढ़ती है जो आप की बीमारियों ,बढ़ते वजन आदि को सुरक्षित रखने में काफी मददगार है।
आंतरायिक उपवास में आप को कम से कम अपने एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच 8 घंटे का फासला होना चाहिये।
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रिसर्च के मुताबिक आप अपने जीवनशैली में अगर शामिल करते है तो आप शुगर, बी.पी को काबू में कर सकते है।
आंतरायिक उपवास जो आपके भोजन को हर दिन एक नये समय और संख्या में सीमित करता है।
एक्सपर्ट की माने तो ‘एक अंतराल पे भोजन करने से शरीर को कई फायदे होते हैं. जो लोग को अपने मोटापे को कम करने और स्वस्थ जीवनशैली की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें खाने के साथ-साथ वे क्या और कब खाते हैं, इस पर भी ध्यान देना चाहिए
कैसे होती है आंतरायिक उपवास ?
आंतरायिक उपवास का ऐसा तरीका है, जिसमें एक निश्चित समय तक उपवास कर खाना खाया जाता है. इसकी समय सीमा अलग-अलग हो सकती है. इसमें लंबे अंतराल तक भूखे रहकर खाना खाना होता है. ये आप को तय करना होता है कि आप को कितना समय का गैप लेना है एक भोजन और दूसरे भोजन के बीच . कुछ लोग 12 घंटे के उपवास के बाद खाना खाते हैं. कुछ 14 से 18 घंटे तक कुछ नहीं खाते हैं, लेकिन जब खाना खाते हैं तो उसमें कार्बोहाइड्रेट कम और प्रोटीन व फाइबर ज्यादा लेते हैं.