उत्तर प्रदेश:- पहले उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री की डिग्री पर सवाल और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सवालों के घेरे में नजर आ रहे है। दरअसल मामला यह है कि यूपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए यह दावा किया है कि राज्य सरकार को नौकरशाह चला रहे हैं तथा जन प्रतिनिधियों से लेकर पार्टी नेताओं को नौकरशाही तवज्जो नहीं देती।
भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व विधायक सिंह ने गुरुवार को संवाददाताओं से बातचीत में योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को नौकरशाह चला रहे हैं, सरकार में नौकरशाही मंत्रियों को तवज्जो तक नहीं दी जाती। उनका कहना है कि पहले मंत्रियों से मुलाकात करने जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को आना पड़ता था लेकिन अब स्थिति यह है कि मंत्रियों की अधिकारियों से मुलाकात तक नहीं हो पाती। आज जन प्रतिनिधि से लेकर पार्टी के नेताओ की स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है और इनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
आपको बता दे कि ऐसा पहली बार नहीं है, सिंह ने इससे पहले भी 8 अगस्त को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा था कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा नीत केन्द्र सरकार इन कानूनों को वापस ले सकती है।
किसानों का समर्थन करते हुए पूर्व विधायक सिंह ने 8 अगस्त की रात संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि ‘‘किसानों की मांग सही हैं। विधानसभा चुनाव और किसानों में रोष को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार इन कानूनों को वापस ले सकती है। किसानों के विरोध के नकारात्मक प्रभावों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा था कि कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शनों के चलते भाजपा के नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में नहीं जा पा रहे हैं और आने वाले समय में किसान भाजपा के जन प्रतिनिधियों का घेराव भी कर सकते हैं।
इतना ही नहीं पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराने जाने को लेकर संसद में चल रहे गतिरोध को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देश में विपक्ष की मांग पर विचार होना आवश्यक है ‘यदि विपक्ष चाहता है कि जासूसी कांड की जांच हो तो सरकार को इसकी निष्पक्ष जांच करानी ही चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि संसद का सत्र सुचारू रूप से चले।”
इस बीच कोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा की गई तैयारियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने दूसरी लहर से सबक नहीं लिया और मामलों से आगे निपटने के लिए कोई प्रभावी प्रबंध नहीं किए गए हैं। बता दे कि इसी वर्ष जून माह में सिंह ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रबंधन पर सवाल उठाया था।
उत्तर प्रदेश में कोविड -19 संकट से निपटने की आलोचना करते हुए सिंह ने यह दावा किया था कि ‘कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्य के हर गांव से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई।’ उन्होंने कहा था कि संक्रमण के कारण मरने वालों के परिजनों को 10 लाख रुपये दिए जाने चाहिए।