देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत ‘आइएनएस विक्रांत’ का समुद्री परीक्षण चार अगस्त से शुरू हुआ है। यह देश में बना सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत है। इस पोत के अगले साल नौसेना में कमीशन होने (शामिल किए जाने) के बाद समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत की ताकत कई गुना बढ़ेगी। ये ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाया गया है। इसके निर्माण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो विमानवाहक पोत का निर्माण कर रहे हैं।
विमानवाहक पोत एक तरह के युद्धपोत होते हैं। इन पोत पर विमानों की उड़ान से लेकर उतरने तक की सारी सुविधा होती है। साथ ही, अत्याधुनिक हथियार और सूचना प्रणालियां लगी होती हैं। इन युद्धपोतों का काम दुश्मन देशों की नौसेना से निपटने से लेकर वायुसेना को मदद पहुंचाना होता है। समुद्री सुरक्षा के लिहाज से युद्धपोत की भूमिका बेहद अहम होती है।
आइएनएस विक्रांत को 23 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है। इसकी सर्वोच्च रफ्तार 52 किलोमीटर प्रति घंटा है। 14 मंजिली इस पोत में 2300 कंपार्टमेंट हैं। जहाज पर एक साथ 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं। इस जहाज पर मिग 29 के, कामोव- 31 हेलिकॉप्टर समेत एक साथ 30 लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया जा सकता है।
आइएनएस विक्रांत की सबसे बड़ी खासियत इसका स्वदेशी होना है। विक्रांत के निर्माण में काम आने वाली 70 फीसद से भी ज्यादा सामग्री और उपकरण भारत में ही बनाए गए हैं। इसके निर्माण के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास विमानवाहक युद्धपोत के निर्माण की क्षमता है।
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इस पोत की डिजाइनिंग से लेकर पुर्जों को जोड़ने तक का सारा काम कोच्चि के शिपयार्ड में किया गया है। इसका पूरा जिम्मा डायरेक्ट्रेट आॅफ नेवल डिजाइन के पास है। इसकी कुल लागत (23 हजार करोड़) का 80-85 फीसद हिस्सा भारतीय बाजार में ही खर्च हुआ है। निर्माण के दौरान प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 40 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
आइएनएस विक्रांत के बारे में नौसेना ने कहा है कि कमीशनिंग के बाद यह समुद्र में भारत की सबसे बड़ी ताकत होगा। 44 हजार 500 टन वजनी इस जहाज में ट्विन प्रॉपेलर लगे हैं, जो इस भारी भरकम जहाज को 52 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से समुद्र में तैरा सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में ये कैरियर 33 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से लगातार 13 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। एक बार में 30 से ज्यादा लड़ाकू जेट और हेलिकॉप्टर यहां से उड़ाए जा सकते हैं। दो हजार से ज्यादा लोग एक साथ इसमें रह सकते हैं। नौसेना के अधिकारी रह चुके रक्षा मामले के विशेषज्ञ सी उदय भास्कर के मुताबिक, आइएनएस विक्रांत के पूरी तरह से काम करने के बाद हिंद महासागर में भारत की सीमा पार क्षमता में बढ़ोतरी होगी। चीन वैसे ही हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ा रहा है। इस विमानवाहक पोत की मदद से भारत, चीन और पाकिस्तान दोनों को टक्कर दे सकेगा।
भारत के पास पहले से ही आइएनएस विक्रांत नाम का एक विमानवाहक युद्धपोत था। भारत के पास पहले जो आइएनएस विक्रांत था, उसने 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई और पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में अपनी जमीन से भी हाथ धोना पड़ा। 1971 के युद्ध में जीत की भारत 50वीं सालगिरह मना रहा है। इसलिए नौसेना ने अपने आइएनएस विक्रांत की याद में इस नए विमानवाहक पोत को भी विक्रांत ही नाम दिया है। नौसेना ने कहा है कि ये आइएनएस विक्रांत का ही पुनर्जन्म है।
एक और पोत पर काम
भारत अपने दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विशाल को लेकर काम कर रहा है। हालांकि इसकी पूरी योजना को अभी मंजूरी नहीं मिली है और केवल शुरुआती योजना पर ही काम हो रहा है। नौसेना इस पोत को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम से लैस करने की योजना पर काम कर रही है। अभी भारत के पास आइएनएस विक्रमादित्य है, जो नवंबर 2013 में नौसेना में शामिल किया गया है। इस पर 30 से ज्यादा लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।