आज के समय में सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनकर सामने आया है, जो एक आम इंसान से लेकर देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक हर किसी की जरूरत बन गया है। चाहे चुनाव प्रचार हो या कोई मुद्दा उठाना, आज हर कोई मजबूती से अपनी बात को रखने के लिए सोशल मीडिया का सहारा जरूर लेता है।
आज राजनीतिक पार्टियों के लिए सोशल मीडिया कितना महत्वपूर्ण बन गया है, इसका अंदाजा उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले यूपी की सभी पार्टियों के ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम को देख कर साफ-साफ लगाया जा सकता है।
बता दें कि इन सबके बीच विपक्ष पर तंज कसते हुए भाजपा उत्तर प्रदेश ने अपने आधिकारिक ट्विटर से एक ट्वीट किया था जिसमें भाजपा उत्तर प्रदेश यह दर्शाती नजर आई थी कि दंगे केवल विपक्ष के समय में ही हुए योगी सरकार के इन 4.5 सालों में प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ।
आइए जानते है, भाजपा का यह दावा कितना झूठ, कितना सच ?
इससे पहले भी जब उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने अपने चार साल पूरे किए थे, तब भी 19 मार्च 2019 को भाजपा यूपी की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ यह कहते नजर आए थे कि उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से एक भी दंगे का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन आपको यह जानकर आशचर्य होगा कि द क्विंट की वेबकूफ टीम समेत कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स की पड़ताल में ये दावा झूठा साबित हुआ था।
आंकड़ों में क्या आया सामने ?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के साल 2019 के डेटा के अनुसार यूपी में एक साल के भीतर करीब 5,714 दंगों के मामले सामने आए, जिसके बाद दंगों में महाराष्ट्र और बिहार के बाद यूपी दंगों वाले राज्य की सूची में तीसरे स्थान पर आया, वहीं 2018 में यूपी दंगे के 8,908 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर और साल 2017 में दंगों के 8,990 मामलों के साथ यूपी बिहार के बाद दूसरे स्थान पर रहा।
इतना ही नहीं, इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 दिसंबर, 2018 को लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि साल 2017 में सांप्रदायिक घटनाओं के मामले में यूपी पहले स्थान पर रहा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आंकड़ो के साथ विवरण देते हुए बताया था कि साल 2014-16 के बाद राज्य में इस तरह के सबसे ज्यादा मामले सामने आए।
यह खबरें योगी सरकार की पोल खोलती है ?
अगर साल 2018 की मीडिया रिपोर्टों की माने तो यह रिपोर्टस साफ-साफ दावा करती है कि 4 सालों में दंगे ना होने का दावा साफतौर पर भ्रामक नजर आता है। अगर जनवरी 2018 की ही बात करें तो, इन दिनों हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच हुए टकराव से तनाव बढ़ गया था और कई दुकान, दो बसें और एक कार आगजनी का शिकार हो गई थी। इन दंगों में करीब 112 लोगों की गिरफ्तारी हुई और इस तनाव ने एक शख्स की जान भी ले ली थी।
इन दिनों ही आजमगढ़ से भी 135 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी, जिनपर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के आरोपों के तहत मामला भी दर्ज किया गया था।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा में एसपी सांसद राकेश प्रताप सिंह जी ने फरवरी 2020 में हुए सीएए आंदोलन से जुड़े एक सवाल का योगी आदित्यनाथ ने लिखित जवाब दिया था और ये जवाब ही योगी आदित्यनाथ के हालिया दावे को झूठा साबित करता है।