पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पहली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है और इस बार इसकी शुभ तिथि 13 जनवरी, गुरुवार को है। इसके अलावा इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार अगर पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी की विधिवत तरीके से पूजा और व्रत किया जाता है। तो इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है लेकिन पूजा से पहले यह जानना बहुत जरूरी होता है कि पूजा की विधि और नियम क्या होते है।
क्योंकि जो पूजा नियम और विधि के साथ की जाती है। उसी का पूरा फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते है कि पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत और पूजा में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए।
पौष पुत्रदा एकादशी को क्या करें
गेंहू या चावल का दान
पुत्रदा एकादशी के दिन अपने घर के पास वाले किसी भी भगवान विष्णु जी के मंदिर जाकर उन्हें गेंहू या चावल अर्पित करें। इसके बाद अर्पित किए गए चावलों को मंदिर के ब्राह्मण को दान कर दें। ऐसा करने से व्यक्ति को अपनी सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
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साबुत पान
एक साबुत पान का पत्ता लेकर पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित करें। इसके बाद अर्पित किए गए पान को लेकर उसपर श्री लिखकर अपने घर की तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
पीले वस्त्र करें धारण
पुत्रदा एकादशी के दिन पीले वस्त्रों को ही धारण करना चाहिए और पीले फल, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, पान-सुपारी आदि से भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही 7 कन्याओं को खीर खिलानी चाहिए। ऐसा करने से नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है।
संतान प्राप्ति का उपाय
पुत्रदा एकादशी के दिन पति और पत्नी को मिलकर पूरी विधि के साथ भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद भगवान विष्णु जी को तुलसी युक्त पंचामृत से स्नान कराकर लड्डू का भोग लगाना चाहिए और फिर आरती करने के बाद भगवान विष्णु से संतान सुख के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
इसके अलावा पुत्रदा एकादशी के दिन पति और पत्नी को चांदी के लौटे में दूध और मिश्री मिलाकर उसे देव वृक्ष यानी कि पीपल, बरगद, पाकड़, आंवला या फिर नीम पर अर्पित करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस उपाय से सुंदर और योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
पौष पुत्रदा एकादशी को क्या ना करें
- चावल ना खाएं
- तामसिक भोजन ना करें
- खुद पर संयम रखें
- घर में लड़ाई-झगड़ों से बचे
- भाषा में कठोर शब्दों का प्रयोग ना करें
- देर तक ना सोएं