देश जैसे-जैसे डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में साइबर अपराधों की संख्या भी बढ़ने लगी है। एक बार फिर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर अपराधियों की दस्तक से प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
बता दें कि इस बार साइबर अपराधियों ने बलरामपुर अस्पताल को अपना निशाना बनाया है। अपराधियों ने अस्पताल के कंप्यूटर नेटवर्क को हैक कर पिछले एक महीने में फर्जी तरीके से अलग-अलग लोगों को दर्जनों फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर दिए है।
समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के अनुसार, बीते शनिवार को अस्पताल प्रशासन द्वारा वजीरगंज थाने में अज्ञात हैकरों के खिलाफ आईटी एक्ट 2008 के तहत FIR दर्ज कराई गई है। हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल में एक भी स्त्री रोग और प्रसूति विभाग नहीं है, तो किसी का जन्म होने का सवाल तो उठता ही नहीं है फिर भी अस्पताल के नाम से फर्जी कम से कम 41 जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
अधिकारियों का इस घटना पर मानना है कि यह सिर्फ फर्जीवाड़े का एक सिरा हो सकता है और इसका पता लगाने के लिए एक ऑडिट की जा रही है कि क्या जन्म या मृत्यु से संबंधित अधिक नकली प्रमाण पत्र और कोई अन्य चिकित्सा दस्तावेज भी अस्पताल प्रणाली के माध्यम से बने हुए थे।
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पुलिस की माने तो उनका संदेह है कि यह एक अखिल भारतीय रैकेट का हिस्सा हो सकता है जो देश भर में अस्पताल के पोर्टलों को हैक कर रहा है और नकली मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाकर उन्हें लोगों को बेच रहा है।
इस दौरान प्रमाण पत्र जारी करने के प्रभारी अधिकारी डॉ एम.पी. सिंह ने मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि, अस्पताल नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) द्वारा संचालित पोर्टलों के केंद्रीकृत नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जो मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म और मृत्यु), नई दिल्ली के अधीन काम करता है और आबादी का रिकॉर्ड रखता है।
डॉ सिंह ने आगे बताया कि, हमारे पास एक अलग यूजर आईडी और पासवर्ड है और पिछले एक महीने में पत्र जारी करने के लिए सिस्टम तक पहुंचने में गड़बड़ी का अनुभव किया। इसने हमें समय-समय पर पहुंच से वंचित कर दिया। जब हमने मुख्य रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराई तो इसने हमें बताया कि अस्पताल के यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके कुछ संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, 16 अगस्त को, जब पोर्टल ने हमें फिर से पहुंच से वंचित कर दिया, तो हमने स्वास्थ्य निदेशालय के कंप्यूटर विशेषज्ञों से संपर्क किया और एक जांच की, जिससे पता चला कि सिस्टम हैक हो गया है।
वहीं, एक ऑडिट में पाया गया कि अस्पताल के उपयोगकर्ता आईडी के माध्यम से एक महीने की अवधि में 41 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार किए गए है, इस तथ्य के बावजूद कि अस्पताल डिलीवरी के मामलों को नहीं लेता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल आगे बताया कि, हमने अन्य अस्पतालों से कहा है कि अगर वे भी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो रिपोर्ट करें।
बताते चलें कि वर्तमान में, शहर में नौ जिला सरकारी अस्पताल और तीन सरकारी सहायता प्राप्त चिकित्सा शिक्षण संस्थान सीआरएस पोर्टल से जुड़े हुए हैं और उन्हें जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति है। वहीं, सहायक पुलिस आयुक्त चौक आई.पी. सिंह ने कहा, हमने मामला दर्ज कर लिया गया है। हैकिंग के अपराधियों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।