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शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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वास्तु के अनुसार जाने घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए, इन दिशाओं में भूलकर भी न करें बाथरूम का निर्माण!

Table of Contents

वास्तु के अनुसार घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए

हर एक व्यक्ति अपने सपनों का घर बनाने के लिए जी जान लगा देता है, जिनमें अक्सर समर्पित और कार्यशील लोगों का यह सपना पूरा भी होता है। लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपने सपनों का घर बनवाते तो जरूर हैं। लेकिन उनमें कुछ अनजाने वश कुछ वास्तु दोष रह जाता है। जो उनके घर-परिवार का सुख चैन छीन लेता है इस लिए जब कभी भी घर बनवाएं तो हमेशा वास्तु शास्त्र का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

वास्तु के अनुसार शौचालय

घर बनवाते समय शौचालय की दिशा को भी ध्यान में रखकर वास्तु के अनुसार बनवाना चाहिए, चाहे फिर वो घर का निर्माण हो, ऑफिस का या शौचालय का। वास्तु के अनुसार घर का नक्शा निर्धारित करते वक़्त शौचालय के बारे में भी सोचे। वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की हुई है। शौचालय को इस दिशा में बनाने से मुश्किलें कम होती है। वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानना जरूरी है। पहले लोग किसी भी दिशा में शौचालय बना लेते थे। लेकिन अब वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानने के बाद ही बनवाते है।

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय को घर के दक्षिण- पश्चमी दिशा के बीच में बनवाना चाहिए। वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा यही है। भारत देश के आजाद होने के बाद से ही माना जाता था की शौचालय घर के बाहर होना चाहिए। बड़े बुजुर्ग कहते थे की मूल-मूत्र त्यागने का कार्य घर के बाहर ही सही होता है। इसका एक कारण यह भी है की घर में पूजा घर होता है। लेकिन अब बदलते समय के साथ शौचालय को कमरे के अंदर किसी भी दिशा में लोग शौचालय बना लेने लगे हैं। लेकिन अब फिर एक बार वास्तु शास्त्र की बढ़ती हुई एहमियत के चलते वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा तय की जाती है। शौचालय बनाते वक़्त शौचालय वास्तु पर ध्यान दिए जाने लगा है।

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इन वजहों से शौचालय की दिशा होती है जरुरी

सुकून की नींद, अच्छी सेहत के साथ प्यार भरे माहौल को घर में रखने के लिए जरूरी है कि घर के वास्तु नियमों को जाना जाए, घर में निर्माण करवाते वक्त वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा का पालन करना भी बेहद जरूरी है। शौचालय के मदद से आप अपनी जिंदगी से बेकार चीज़े बहार निकालते है। इस कार्य के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा उचित मानी जाती है। इसीलिए इसे वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा माना जाता है। इस दिशा में शौचालय बनाने से व्यक्ति अपनी बेकार और कष्टकारी चीज़ो का विसर्जन कर सकता है। इसीलिए ख़राब ऊर्जा वाली जगह पर ही शौचालय का निर्माण होना चाहिए। यदि शौचालय वस्तु के अनुसार गलत दिशा में होता है तो:

• घर परिवार में मनमुटाव की स्थिति बन सकती है।
• नए वैवाहिक जोड़े के जीवन में कलह की संभावना हो सकती है।
• व्यवसाय में हानि हो सकती है।
• नौकरी या किसी भी पेशे में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
• परिवार के लोग रोग से पीड़ित रहते है।
• ग्रह स्वामी में आत्मविश्वास की कमी है।

शौचालय बनाते वक़्त इन बातों रखें ध्यान

• शौचालय बनवाते वक्त लगने वाले उपकरणों की वजह से नकारात्मक ऊर्जा पैदा नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो घर के सदस्य बीमार रहने लगते है।

• निर्माण के दौरान घर में टॉयलेट और बाथरूम एक साथ नहीं बनवाना चाहिए। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से वास्तु दोष होता है। इस वास्तु दोष की वजह से आपको कई मुसीबतों का सामना करना पढ़ता है और घर में कलह भी बना रहता है।

• शौचालय के लिए हमेशा नकारात्मक ऊर्जा वाली जगह को ही चुने, जिससे की शौचालय बनाने की वजह से सकरात्मक ऊर्जा नष्ट नहीं हो। ऐसा अगर होता है तो आपको आर्थिक मुसीबतें हो सकती है। इसके साथ- साथ बरकत या सफलता में भी रुकावटें आती है।

• शौचालय कभी घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाएं। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है जो हानिकारक होती है।

• शौचालय और स्नानगृह कभी साथ में मत बनवाएं। स्नानगृह हमेशा घर के पूर्व दिशा में होना चाहिए। शौचालय हमेशा वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की जगह पर बनवाएं।

बाथरूम वास्तु

• वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जो निर्धारित है उसी का इस्तेमाल करना चाहिए।

• वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है। शौचालय में राहु का वास होता है। अगर आप इन दोनों को एक साथ बनाते है तो चंद्रमा को राहु की वजह से ग्रहण लग जाता है। इसके कारण बहुत सारे दोष हो जाते है। इनका असर व्यक्ति के मन और स्वस्थ्य पर पढता है। इसलिए स्नानगृह और शौचालय अलग रखें।

• बाथरूम और टॉयलेट भी अलग होने चाहिए।
बाथरूम में पानी का बहाव उतर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

• बाथरूम का फर्श चिकना नहीं बनाएं। ऐसा करने से घरवालों को हानि हो सकती है। टाइल्स, मार्बल या ग्रेनाइट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

• बाथरूम में टपकता हुआ नल नहीं होना चाहिए। अगर कोई नल ऐसा है तो उसको सही करवा लीजिये।

• बाथरूम में लगी हुई खिड़की पूर्व दिशा में खुले तो अच्छा होता है।

• हमेशा बाथरूम का दरवाजा बंद रखे ताकि नाकारात्मक ऊर्जा आपके घर में न फैले। अगर आपका बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रहता है तो इसका असर आपके व्यक्तिगत जीवन और आपके करियर पर पड़ता है।

• आपके बाथरूम के बाहर कोई भी सजावट का सामान न रखे और न ही किसी देवता की मूर्ति या फोटो लगाये।

वास्तु के अनुसार टॉयलेट

वास्तु ‌के मुताबिक कभी भी इन दिशाओं में टॉयलेट ना बनाएं, इन दिशाओं में शौचालय बनाने से घर में मुसीबतें आती है।

• पश्चिम दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा का प्रयोग करने की वजह से व्यक्ति को मनोवांछित फल नहीं मिलते।

• उतर दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से रोजगार की तकलीफें होती है। धन पाने में रुकावटें भी आती है।

• शौचालय के लिए उतर-पूर्व दिशा भी उचित नहीं है। इस दिशा के इस्तेमाल से व्यक्ति की रोगो से बचने की क्षमता कम हो जाती है। घरवाले ज्यादातर बिमारियों से पीड़ित रहते है।

• घर के पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनाएं। ऐसा करने पर घरवाले हमेशा थकान महसूस करते है। इस दिशा के प्रयोग से व्यक्ति के सामाजिक रिश्ते नष्ट हो जाते है।

• यह ध्यान रखें की टॉयलेट कभी भी रसोई के सामने नहीं हो।

टॉयलेट सीट डायरेक्शन

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा के साथ टॉयलेट सीट की दिशा भी जरूरी है।

• पश्चिम या दक्षिण दिशा में टॉयलेट सीट रखनी चाहिए।
• टॉयलेट सीट के लिए दक्षिण – पश्चिम सबसे उचित दिशा है।
• टॉयलेट सीट का प्रोयग करते वक़्त आपका मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
• टॉयलेट सीट का प्रयोग करते वक़्त कभी भी मुख पूर्व दिशा की तरफ नहीं रखें। यह दिशा सूर्य भगवान् की है अगर आप इस दिशा की तरफ मुख करके शौच करते है तो सूर्य देव का अपमान होता है। ऐसा करने से आपको कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

वास्तु फॉर अटैच्ड बाथरूम एंड टॉयलेट

• ऐसे शौचालय की दीवारों का रंग सफ़ेद, हल्का नीला, हल्का पीला या आसमानी रंग होना चाहिए।

• ऐसे में वाशिंग मशीन के लिए दक्षिण या आग्नेय कोण सही दिशा होती है।

• दर्पण हमेशा पूर्व या उतरी दिवार पर लगाना चाहिए।

• इस बात का ख़ास ख्याल रखे कि आपके बाथरूम का वश बेसिन और नहाने की जगह बाथरूम के पूर्व, उत्तर या उतर पूर्व में हो।

• बाथरूम में अगर एडजस्ट फैन है तो वो पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए ताकि वहां से आपके बाथरूम में फ्रेश हवा और सूरज की रोशनी आ सके।

• आपके बाथरूम में वेंटिलेशन होना चाहिए।

• बाथरूम का इंटीरियर करवाते वक्त इस बात का ध्यान रखे कि बाथरूम की टाइल्स काली या गहरी नीले रंग की न हो।

• आपके बाथरूम की दीवार भूरे रंग,क्रीम रंग या मिटटी के रंग से मिलता जुलता कोई रंग होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा

• सीढियों के नीचे कभी भी बाथरूम न बनवाएं, ये वास्तु की नजर से सही स्थान नही है।

• बाथरूम का दरवाजा लकड़ी का बना होना चाहिए न कि लोहे का, लोहे के दरवाजे नैगेटिव एनर्जी पैदा करता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही होगा।

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय

• वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय हमेशा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए।

• शौचालय का गटर आपके घर के पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए।

• दक्षिण दिशा के अलावा शौचालय की खिड़कियाँ और दरवाजा किसी भी दिशा में हो सकते हैं।

शौचालय में इन दिशाओं का रखें ध्यान

• शौचालय में पानी का बहाव उतर पूर्व दिशा से होना चाहिए।

• अगर आप शौचालय में गीज़र लगवा रहे है तो शौचालय अग्नि कोण में बनवाएं। गीज़र के साथ वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा मानते है।

• आज कल ज्यादातर लोग बैडरूम में शौचालय बनवाते है, जो गलत है। ऐसा करने से बैडरूम और बाथरूम की ऊर्जा में टकराव होता है। इसका घरवालों के स्वास्थय पर भी असर करता है। दोनों के बीच में एक चेंजिंग रूम बनवाएं।

• यह हमेशा ध्यान रखें की उपयोग के बाद शौचालय का दरवाज़ा बंद हो। ऐसे बाथरूम की खिड़कियां पूर्व दिशा में होनी चाहिए। एग्जॉस्ट फैन भी पूर्व दिशा में लगवाना चाहिए।

• यह ध्यान रखें की जब आप सोये तब शौचालय का दरवाजा आपके मुख की तरफ नहीं हो। शौचालय हमेशा एक के ऊपर एक बनवाना चाहिए।

• शौचालय में ब्रश करते वटक आपका मुख उतर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

• ईशान कोण दिशा में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए, यह हानिकारक होता है।

राजन चौहान
राजन चौहानhttps://www.duniyakamood.com/
मेरा नाम राजन चौहान हैं। मैं एक कंटेंट राइटर/एडिटर दुनिया का मूड न्यूज़ पोर्टल के साथ काम कर रहा हूँ। मेरे अनुभव में कुछ समाचार चैनलों, वेब पोर्टलों, विज्ञापन एजेंसियों और अन्य के लिए लेखन शामिल है। मेरी एजुकेशन बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (सीएसई) हैं। कंटेंट राइटर के अलावा, मुझे फिल्म मेकिंग और फिक्शन लेखन में गहरी दिलचस्पी है।

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