सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है। पांच जजों की बेंच में से जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण पर सहमति जताई। तीनों जजों का मानना है कि यह आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।
हालांकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा के ख़िलाफ़ अपनी राय रखी।
अब यहां सवाल यह उठता है कि EWS आरक्षण क्या है?
EWS यानि इकॉनमिकल वीकर सेक्शन, इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी से लेकर शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। यह आरक्षण केवल सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। OBC के लिए 27%, SC के लिए 15%, और एसटी (7.5%) आरक्षण पहले से है।
इसके तहत केवल जनरल कैटेगरी के गरीब लोगों को आरक्षण दिया जाएगा।
EWS आरक्षण का फैसला आपके और आपके परिवार की वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
इस आरक्षण का फायदा लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
इसमें सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं।
EWS आरक्षण के तहत व्यक्ति के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी जरूरी है। इसके अलावा 200 वर्ग मीटर से अधिक का Residential Flats नहीं होना चाहिए।
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