परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार दिल्ली से मुंबई के बीच इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना पर काम कर रही है। इलेक्ट्रिक हाईवे एख ऐसा हाईवे होता है जिस पर चलने वाले वाहनों को बिजली की आपूर्ति की जाती है, क्योंकि ये वाहन बिजली से चलते है। जैस मेट्रो ट्रेन या रेलगाड़ी। इसके लिए सड़क पर बिजली के पोल लगाए जाते है। जिससे वाहन तक बिजली पहुंचाई जाती है।
नरेंद्र मोदी सरकार में नितिन गडकरी सड़क परिवहन मंत्री है। साल 2014 में उन्होंने सड़क परिवहन मंत्रालय संभाला है। जब से लेकर अब तक उन्होंने बेहतरीन एक्सप्रेस-वे बनाए हैं। नितिन गडकरी इस बार कुछ अलग करने वाले है। इस बार वो देश की यातायात व्यवस्था को और फास्ट करने वाले है। गडकरी ने सोमवार को जानकारी दी है, सरकार देश की नई दिल्ली से मुंबई के बीच इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने पर विचार कर रही है।
कैसा होता है, इलेक्ट्रिक हाईवे –
दुनिया के ज्यादातर देश अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके लिए इलेक्ट्रिक हाईवे बनाए गए है। वैसे भी कहा जा रहा है कि भारत मे EV भविष्य औऱ इसकी मार्केट भी ज्यादा है। यहीं वजह है कि अब देश में जगह-जगह EV चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं। नए-नए इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च किए जा रहे है। इलेक्ट्रिक हाईवे की बात करें तो आपने ट्रेन या मेट्रो में सफर तो किया ही होगा। जिस तरह ट्रेन के इंजन के ऊपर बिजली के तारों को कनेक्ट किया जाता है। उसी तरह से इलेक्ट्रिक हाईवे का भी निर्माण किया जाएगा। वहां भी वाहनों के उपर सैम तरह से pantograph लगाया जाएगा। न
आपको बता दें कि कुछ ही दिनों पहले जर्मनी ने अपने शहर Hesse में इलेक्ट्रिक हाईवे का निर्माण किया है। इस इलेक्ट्रिक हाईवे की लंबाई 6 मील है। इस इलेक्ट्रिक हाईवे पर हाईब्रिड ट्रक को चलते हुए भी चार्ज किया जा सकता हैं। इलेक्ट्रिक हाईवे पर भी बिजली के वैसे ही तार लगाए जाते है जैसे आपने रेलवे स्टेशन या मेट्रो स्टेशन पर देखे होंगे। जर्मनी के इस इलेक्ट्रिक हाईवे पर ट्रेनों में उपयोग होने वाले ओवरहेड पावर लाइनों की तरह ही हाइब्रिड ट्रक ओवरहेड केबल से कनेक्ट कर चार्जिंग करते हैं। इस दौरान उनकी स्पीड़ 50 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा भी रहती हैं।
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कितना खर्ज आएगा इसे बनाने में –
जर्मनी में जो 6 मील लंबा इलेक्ट्रिक हाईवे बनाया गया है, उसे बनाने में जर्मन फेडरल मिनिस्ट्री ने 14.6 मिलियन यूरो (1 अरब 16 करोड़ 36 लाख रुपये) दिए थे। इसके अलावा ट्रायल के लिए 15.3 मिलियन दिए गए थे। इलेक्ट्रिक हाईवे को पहले से मौजूद एक्सप्रेस-वे या हाईवे पर ओवरहेड पावर के जरिए कनेक्टिविटी दी जा सकती है।
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