नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी आज सोनिया गांधी से फिर पूछताछ करने वाली है। फिलहाल सोनिया गांधी दिल्ली स्थित ईडी दफ्तर पहुंच गई है।
इस पूछताछ के विरोध में कांग्रेस फिर सड़क से संसद तक विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में है। आपको बता दें कि कल राहुल गांधी ने ईडी की कार्रवाई के विरेध में विजय चौक पर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला-
20 नवंबर 1937 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया गया था। इसके द्वारा अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना शुरू हुआ था। तब AJL के तहत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन समाचार पत्र प्रकाशित हुए थे। भले ही AJL का गठन पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया था, लेकिन इस पर मालिकाना हक उनका नहीं था। क्योंकि, इस कंपनी को करीब 5000 स्वतंत्रता सेनानी शेयर होल्डर थे। 90 के दशक में यह अखबार घाटे में आने के कारण साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्जा हो गया। जिसके बाद AJL ने समाचार पत्रों का प्रकाशन बंद कर प्रॉपर्टी बिजनेस की तरफ रुख किया था।
फिर विवाद क्या हैं और ये कहां से शुरू हुआ?
AJL के 2010 में 1057 शेयर होल्डर थे। घाटा के कारण इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड( YIL) को दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना 2010 में हुई थी। इस कंपनी में राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी ने 76% हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी को दे दी। शेष 24% हिस्सेदारी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस को दी गई। कुछ समय बाद दोनों का निधन हो गया।
शेयर ट्रांसफर होने के बाद अब AJL के शेयर होल्डर्स सामने आए है। इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू, पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण सहित अन्य शेयर होल्डर का आरोप है कि जब YIL ने AJL का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं दिया गया। इतना ही नहीं शेयर होल्डर्स से शेयर ट्रांसफर करने से पहले सहमति भी नहीं ली गई। आपको बता दें कि मार्कंडेय काटजू और शांति भूषण के पिता के नाम पर AJL में शेयर थे।