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Delhi Metro : यलो, ब्लू और रेड लाइन पर बहुत जल्द होने वाला है यह बड़ा बदलाव, पढ़ें पूरी खबर!

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Delhi Metro

नई दिल्ली: दिल्ली समेत देश के कई राज्यों के लिए मेट्रो लाइफलाइन बन गई है। राजधानी में रोजाना लाखो लोग इससे सफर करते हैं। ज्यादातर लोग अपने ऑफिस के लिए एक ही टाइम पर निकलते हैं जिससे कि मेट्रो पुरी तरह भीड़ से लपालप हो जाती है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए DMRC अपने नए प्लान पर काम कर रही है।

बहुत जल्द DMRC छह कोच वाली मेट्रो ट्रेन को अब आठ कोच में तब्दील करने जा रही है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग सफर कर सकें। ब्लू और यलो लाइन के बाद DMRC अब रेड लाइन यानी रिठाला से शहीद स्थल न्यू बस अड्डा रूट पर 39 छह कोच वाली ट्रेनों में 78 कोच जोड़ रही है। इस साल के अंत तक यह काम पूरा होने की संभावना है।

दिल्ली मेट्रो का यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि 40-50 प्रतिशत यात्री इन्हीं तीनों कॉरिडोर पर सफर करते हैं। कन्वर्जन के बाद आठ कोच वाली ट्रेनों की संख्या ब्लू लाइन पर 74, यलो लाइन पर 64 और रेड लाइन पर 39 होंगी। अब तक यलो लाइन पर 12 ट्रेनों और ब्लू लाइन पर 9 ट्रेनों को कन्वर्ट किया जा चुका है। DMRC के बेड़े में 336 ट्रेनें हैं और सबसे ज्यादा ब्लू लाइन पर 74 ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इसके बाद 64 ट्रेनें यलो लाइन पर और 51 पिंक लाइन पर चलती हैं।

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दिल्ली मेट्रो कुल 120 कोचों को अपने तीन सबसे पुराने और सबसे व्यस्त कॉरिडोरों- रेड लाइन, यलो लाइन (हुडा सिटी सेंटर से समयपुर बादली) और ब्लू लाइन (द्वारका से नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी/वैशाली) पर बढ़ाना चाहती है जिससे यात्रियों को ढोने की क्षमता बढ़ाई जा सके। यह कन्वर्जन पिछले साल शुरू हुआ था और सबसे पहले यलो लाइन की ट्रेनों को 6 से बढ़ाकर 8 कोच में करना शुरू किया गया।

खबरों के मुताबिक, ट्रेन कंपनी ने रेड लाइन पर 39 छह-कोच वाली ट्रेनों में 78 और कोच जोड़ने का काम शास्त्री पार्क डिपो पर शुरू किया है। इस लाइन पर पहली आठ कोच वाली ट्रेन इस साल जून तक तैयार होने की संभावना है और बाकी 38 ट्रेनें 2022 के अंत तक रेडी हो जाएंगी। जानकारी के अनुसार, इस कदम से यात्रियों को ढोने की क्षमता में काफी इजाफा होगा। 39 किमी के इस कॉरिडोर पर 29 स्टेशन हैं।

120 कोच में से 40 कोच बॉम्बार्डियर से और 80 कोच भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड से खरीदा गया है। यह पहल ऐसे समय में शुरू की गई जब कोविड संक्रमण के चलते मेट्रो से यात्रा करने वालों की संख्या में काफी कमी आ गई थी। फिलहाल 100 प्रतिशत क्षमता के साथ ट्रेनें दौड़ रही हैं।

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