कांग्रेस इस समय अपने पैर जमाने के लिए तमाम कोशिश कर रही है, इससे पहले राहुल गांधी ने पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी लेकिन उसपर भी कई सवाल खड़े किए गए। लेकिन इन सबके बीच अब कांग्रेस छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपना 85वां अधिवेशन कर रही हैं।
इसी बीच बीते शनिवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपना भाषण दिया और आज राहुल गांधी ने भी अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें संबोधित किया। अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी उम्र 52 साल हो गई है लेकिन आज तक उन्होंने एक घर तक नहीं खरीदा।
राहुल गांधी ने साझा किया अपनी यात्रा का एक्सपीरियंस ?
इस दौरान राहुल गांधी ने अपनी यात्रा का एक्सपीरियंस साझा करते हुए कहा कि, आप सभी ने केरल वाली मेरी बोट रेस तो देखी ही होगी, उस समय मैं बोट में बैठ तो गया था लेकिन मुझे अंदर से रोना आ रहा था क्योंकि मेरे पैरों में भयंकर दर्द महसूस हो रहा था।
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लेकिन फिर भी मैं मुस्कुराता रहा, मैनें जब यात्रा शुरू की थी तो मुझे लगा था कि मैं तो फिट आदमी हूँ ये यात्रा तो आराम से कर लूंगा। क्योंकि जो आदमी 10 से 12 किलोमीटर दौड़ता हो उसके लिए 20 से 25 किलोमीटर क्या बड़ी बात है, लेकिन वाकई में ये बड़ी बात थी।
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राहुल गांधी ने आगे कहा कि, ज्यादा तकलीफ तो मुझे तब हुई जब मेरी एक पुरानी चोट यात्रा के दिन उभर कर सामने आ गई। दरअसल, ये चोट मुझे कॉलेज के दिनों में लगी थी, अचानक से वही दर्द सामने आ गया।
राहुल गांधी ने कहा कि आप सभी मेरे परिवार के ही लोग हैं इसलिए आपको बताना चाहता हूँ कि जब अगली सुबह मैं उठा तो मुझे ये विचार आने लगा कि ये बात 25 किलोमीटर की नहीं है बल्कि अभी 3 हजार 500 किलोमीटर चलना है, क्या मैं इतना चल पाउँगा ?
लोगों ने मेरा घमंड तोड़ दिया ?
राहुल गांधी ने आगे कहा कि जब मैं कंटेनर से उतरा, चलना शुरू किया और लोगों ने मिला तो पहले 10 से 15 दिनों में ही मेरा अहंकार और घमंड टूट गया। ये इसलिए दूर हो गया क्योंकि भारत माता ने मुझे मैसेज दिया था कि यात्रा का जो प्रण लिया है वो तभी पूरा करना जब तुम्हारे मन से घमंड निकल जाए, वरना यात्रा को यही खत्म कर दो।
मरे पास एक भी घर नहीं है ?
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि, मेरी उम्र 52 साल हो गई है लेकिन मेरे पास एक भी नहीं है और जो हमारे परिवार का घर है वो इलाहाबाद में है, लेकिन मैं उसे भी घर नहीं कहूंगा और दिल्ली के 120 तुगलक लेन में मेरा घर है वो भी मेरा नहीं है।
जब मैं यात्रा पर निकला तो मुझे मेरी जिम्मेदारी याद आने लगी। मैंने कहा कि मेरे साइड और आगे पीछे जो भी जगह खाली है उसे ही मैं अपना घर मानूंगा और यहां मुझसे जो भी मिलने आएगा मैं उनका अच्छे से स्वागत करूँगा। जो भी मुझसे मिलने आए उसे ये ही लगना चाहिए कि वह अपने घर आया है।