हम सुबह के समय ट्रेन से रणथंभौर की ओर जा रहे थे, तभी मेरे दोस्त की तबियत खराब हो गई। हमारे पास दवा भी नहीं थी, इसलिए मैंने मथुरा में अपने अगले स्टेशन के पास की दवा की दुकानों को गूगल सर्च किया।
मैंने सबसे पहले यह चेक किया कि क्या वह स्टेशन पर दवा डिलीवर करते हैं ? ‘AIIMS’ नाम के एक फार्मेसी के ओनर प्रेम ने हमारी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की और कुछ दवाओं के साथ स्टेशन तक ड्राइव करके आए।
हमने उन्हें अपना कोच नंबर और ट्रेन के आने का टाइम बताया। हमारी ट्रेन मथुरा जंक्शन पर सिर्फ 2 मिनट के लिए रुकी थी, और हमारी ट्रेन के रुकते ही वो वहां तक आ गए। हमने उनसे दवा ली, और पूछा कि उनसे Extra-Pay के लिए पूछा, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ मना कर दिया।
प्रेम ने कहा “नहीं सर, हम ये नहीं ले सकते, बस आपका दोस्त ठीक हो जाए।”
एक अजनबी के भाव ने हमारा दिल छू लिया। भारत जितनी खूबसूरत जगह कोई नहीं है, और यहां जैसे अच्छे लोग भी कहीं नहीं हैं।” – मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के चेयरपर्सन डॉ अरविंदर सिंह सोइन ने अपने ट्विटर पर लिखा।