बजट किसी भी देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और उसके आर्थिक भविष्य की कहानी बयान करता है, वैसे तो हर देश का अपना बजट पेश करने का तरीका और समयावधि अलग अलग हैं लेकिन एक चीज जो सभी देशो में कॉमन है वो ये कि किसी भी देश के भविष्य की आर्थिक नीति को पेश करने वाले दस्तावेज को बजट ही कहा जाता है।
कैसे पड़ा आर्थिक नीति के दस्तावेजों का नाम बजट?
जब बजट शब्द कानों में पड़ता है तो लगता है कि अर्थव्यवस्था से जुड़े किसी शब्द की वजह से हमारी भविष्य के आर्थिक खाके को बजट कहा जाता होगा लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, सच इसके बिल्कुल परे और रोचक है। बड़ा ही अजब सा किस्सा था जिसकी वजह से आर्थिक प्लान को बजट कहा जाता है।
क्या था वो दिलचस्प किस्सा?
दरअसल बजट शब्द फ्रेंच भाषा के “बुजेट” शब्द से आया है जिसका अर्थ होता है चमड़े का सुंदर बैग, हुआ यूँ था की एक दिन ब्रिटिश चांसलर फ़्रांस की पार्लियामेंट में आर्थिक खाका बताने पहुंचे, उन्होंने सभी जरूरी कागजात चमड़े के एक सुंदर बैग में रखे हुए थे, बैग इतना आकर्षक था कि जैसे ही पार्लियामेंट में मौजूद लोगों की नजर उस बैग पर पड़ी वो उत्साहित होकर बुजेट बुजेट चिल्लाने लगे, बस तभी से एक प्रथा सी बन गयी की हर साल आर्थिक खाके से जुड़े सभी कागजात एक सुंदर लेदर बैग में रख के ही संसद आएंगे।
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फ़्रांस से चली इस प्रथा को विश्व भर में अपना लिया गया और सभी जगह इसको बजट कहा जाने लगा।
भारत का पहला बजट कब और किसने पेश किया?
भारत का पहला बजट आज़ादी के उपरांत 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के शानमुखम चेट्टी ने संसद में पेश किया था। इसके बाद से यही प्रक्रिया जारी रही लेकिन तारीख में बदलाव हो गया और बजट को प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को पेश किया जाने लगा।
निर्मला सीतारमण ने बदला बजट का स्वरुप
लैदर बैग में प्रस्तुत किये जाने वाले बजट को वर्तमान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बदल कर खातावही (पुराने ज़माने के बनियों के यहाँ हिसाब रखने वाली लाल डायरी) जैसा कर दिया, जिसको सनातनी फील देने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया था।
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